Simple Pendulum

What is called a Pendulum?

लोलक क्या होता है?  

किसी डोरी के एक सिरे पर एक भार बंधा होता है और दूसरे सिरे को एक सहारे से लटका दिया जाता है ताकि भार, गुरुत्व बल के प्रभाव से स्वतंत्र रूप से दोलन कर सके। इस प्रबंध को लोलक ( pendulum ) के नाम से परिभाषित किया जाता है।

  1. डोरी से जुड़े भार को लोलक का गोलक ( bob ) कहते हैं।
  2. जिस बिंदु से लोलक लटका हुआ होता है उसे निलंबन बिंदु ( point of suspension ) कहा जाता है।
  3. गोलक ( bob ) के द्रव्यमान केन्द्र को दोलन बिन्दु ( point of oscillations ) कहते हैं।
  4. निलंबन बिंदु से दोलन बिंदु के बीच की दूरी को लोलक की लंबाई ( length of pendulum ) कहा जाता है।

इटली के वैज्ञानिक गैलीलियो ने सबसे पहले पीसा गिरजाघर में झूलते हुए दीपक की आवधिक ( periodic ) प्रकृति को देखा जो लोलक ( pendulum ) के विकास का आधार बन गया।

जब लोलक विरामावस्था में होता है, तो गोलक संतुलन की स्थिति ( equilibrium ) में रहता है और इसकी डोरी ऊर्ध्वाधर ( vertical ) होती है। जब गोलक अपनी संतुलन की स्थिति से एक किनारे विस्थापित किया जाता है, तो गुरुत्व के कारण उत्पन्न प्रत्यावर्तन बल ( restoring force ) कार्य करता है जो इसे वापस संतुलन की स्थिति की ओर लाता है और दोलन का कारण बनता है।

Types of Pendulum

लोलक के प्रकार

उपयोग में आने वाले विभिन्न प्रकार के लोलक इस प्रकार हैं –

  1. सरल लोलक ( Simple pendulum ) – सरल लोलक में सहारे से लटका हुआ एक गोलक होता है जो एक आयाम ( one dimension ) में दोलन करता है। इस प्रकार का लोलक सबसे सरल होता है और इसे मेट्रोनोम ( metronomes ) और सीस्मो-मीटर ( seismo-meters ) में देखा जा सकता है।
  2. सेकंड पेंडुलम ( Seconds pendulum ) – दीवार की घड़ियों में इस्तेमाल होने वाले लोलक को सेकंड पेंडुलम कहा जाता है क्योंकि इसकी समय अवधि 2 सेकंड की होती है।
  3. फौकॉल्ट पेंडुलम ( Foucault pendulum ) – फौकॉल्ट पेंडुलम एक प्रकार का सरल लोलक है जिसमें गोलक दो आयामों ( two dimension ) में दोलन करता है। इसका उपयोग, पृथ्वी के घूर्णन के प्रदर्शन के लिए किया जाता है।
  4. डबल पेंडुलम ( Double pendulum ) – एक डबल पेंडुलम में दो सरल लोलक एक दूसरे के सहारे लटके होते हैं। इसे अराजक लोलक ( chaotic pendulum ) भी कहा जाता है। डबल पेंडुलम मुख्य रूप से गणितीय सिमुलेशन ( mathematical simulations ) में उपयोग किए जाते हैं।
  5. शंकुकार लोलक ( Conical Pendulum ) – यदि एक सरल लोलक का एक सिरा सहारे से जुड़ा हो और गोलक एक क्षैतिज वृत्त में घूम रहा हो तो उसे शंकुकार लोलक कहते हैं। ग्रहों की गति का विश्लेषण करने के लिए इस पेंडुलम का उपयोग एक मॉडल के रूप में किया जाता है।
  6. यौगिक लोलक ( Compound pendulum ) – एक यौगिक लोलक में एक झूलती हुई छड़ की तरह एक बड़े आकर का द्रव्यमान होता है जो एक क्षैतिज अक्ष पर दोलन करने के लिए स्वतंत्र होता है।
  7. कैटर का लोलक ( Kater’s pendulum ) – यह एक विशेष प्रकार का यौगिक लोलक है जिसका उपयोग गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी के त्वरण ( acceleration due to gravity ) के मान को मापने के लिए किया जाता है।

Simple Pendulum

सरल लोलक

जब एक बिंदु द्रव्यमान ( point mass ) को एक लंबी, लचीली ( flexible ), बेलोचदार ( inelastic ) और भारहीन ( weight-less ) डोरी के द्वारा एक कठोर सहारे से लटका दिया जाता है जो वृत्ताकार चाप में दोलनों के एक छोटे कोण के अंदर दोलन करता है, तो इसे सरल लोलक  ( simple pendulum ) कहा जाता है।

एक सरल लोलक के दोलनों को सरल आवर्त गति ( simple harmonic motion ) के रूप में पाया जाता है।

Characteristics of Simple Pendulum

सरल लोलक की विशेषताएं

एक सरल लोलक में कुछ आवश्यक गुण होने चाहिए ताकि वह सरल आवर्त गति के साथ दोलन करे। ये हैं –

  1. साधारण लोलक ( simple pendulum ) का गोलक गोलाकार होता है और इसे सजातीय ( homogeneous ) सामग्री का बनाया जाता है। इस प्रकार, गोलक के कुल भार को गोलक के ज्यामितीय केंद्र पर केंद्रित माना जा सकता है।
  2. लोलक की डोरी, महीन और नगण्य द्रव्यमान वाली होनी चाहिए ताकि लोलक का द्रव्यमान केंद्र गोलक के द्रव्यमान केंद्र ( centre of mass ) के साथ मेल खाता हो।
  3. लोलक की डोरी लचीली होनी चाहिए ताकि गोलक पर किसी अन्य बल का प्रभाव न पड़े और दोलनों पर सिर्फ गुरुत्व बल का प्रभाव माना जाना चाहिए।
  4. गोलक के दोलनों के कोण को बहुत छोटा रखा जाता है ताकि गोलक की गति का मार्ग एक सरल रेखा ( straight line ) के रूप में ग्रहण किया जा सके।
  5. लोलक का दोलन एक ऊर्ध्वाधर तल में होना चाहिए।

Oscillation of Simple Pendulum

सरल लोलक का दोलन

चित्र में दिखाए गए एक सरल लोलक पर विचार करें। संतुलन की स्थिति में सरल लोलक का गोलक, निलंबन बिंदु के ठीक नींचे ऊर्ध्वाधर स्थित होता है। यदि गोलक को किसी भी ओर थोड़ा सा विस्थापित कर छोड़ा दिया जाता है, तो यह अपनी संतुलन की स्थिति के दोनों ओर दोलन करना प्रारम्भ कर देता है।

मान लीजिए कि किसी क्षण गोलक अपने चरम स्थिति A पर स्थित है। गोलक पर कार्य करने वाले बल ( forces ) हैं –

  1. गोलक का भार ( Weight ) ( mg ) जो ऊर्ध्वाधर नींचे की ओर कार्य करता है।
  2. डोरी का तनाव ( Tension ) ( T )

गोलक का भार ( mg ) के दो घटक हैं  –

  1. डोरी में तनाव उत्पन्न करने वाला घटक ( mg \cos \theta ) होता है।
  2. गोलक में प्रत्यावर्तन बल उत्पन्न करने वाला घटक ( mg \sin \theta ) होता है।

गोलक पर कार्य करने वाला प्रत्यावर्तन बल ( restoring force ) होगा –

OSCILLATIONS OF SIMPLE PENDULUM
060601 OSCILLATIONS OF SIMPLE PENDULUM

F = - m g \sin \theta

= - m g \left ( \theta - \frac { \theta ^ 3 }{ 3 ! } + \frac { \theta ^ 5 }{ 5 ! } - .... \right )

= - m g \ \theta \left ( 1 - \frac { \theta ^ 2 }{ 6 } + \frac { \theta ^ 4 }{ 120 } - .... \right ) यहाँ ( \theta ) रेडियन में होता है।

यदि ( \theta ) सूक्ष्म है तो इसके उच्च मानों की उपेक्षा की जा सकती है।

अतः \quad F = - m g \ \theta ……… (1)

परन्तु लोलक के लिए ( mg ) एक नियतांक होता है।

अतः \quad F \propto \theta \quad

माना कि, लोलक की लंबाई ( l ) है और किसी क्षण पर गोलक का विस्थापन ( x ) है। तब दोलन कोण, \quad \theta = \left ( \frac { x }{ l } \right )

तब समीकरण (1) से –

F = - m g \left ( \frac { x }{ l } \right )

= - \left ( \frac { m g }{ l } \right ) x ………. (2)

परन्तु, किसी लोलक के लिए \left ( \frac {m g}{l} \right ) एक नियतांक होता है।

अतः \quad F \propto x

अर्थात, समीकरण (1) और (2) से हम पाते हैं कि, गोलक पर लगने वाला प्रत्यावर्तन बल, विस्थापन का समानुपाती है और विपरीत दिशा में कार्य करता है। यह सरल आवर्तीय गति के लिए आवश्यक शर्त है। इसलिए लोलक सरल आवर्त गति करता है।

Force Constant of Pendulum

लोलक का बल नियतांक

एक सरल आवर्त गति में प्रत्यावर्तन बल ( restoring force ) \quad F = - k x होता है।

परन्तु समीकरण (2) से हम पाते हैं कि –

F = - \left ( \frac { m g }{ l } \right ) x

अतः लोलक का बल नियतांक ( force constant ) \quad k = \left ( \frac {m g}{l} \right ) होगा।

Time Period of Pendulum

लोलक का आवर्त काल

परिभाषा के अनुसार लोलक का आवर्त काल ( time period ) होगा –

T = 2 \pi \sqrt { \frac { m }{ k }}

= 2 \pi \sqrt { \frac { m }{ \left ( \frac {m g}{l} \right ) }}

= 2 \pi \sqrt { \frac { l }{ g }}

Acceleration of Pendulum

लोलक का त्वरण

गोलक पर लगने वाला बल होता है –

F = - m g \left ( \frac { x }{ l } \right )

परन्तु, बल की परिभाषा से ( F = m a ) होता है, जहाँ ( a ) त्वरण है।

अतः \quad a = - \left ( \frac { g }{ l } \right ) x = \omega ^ 2 x

इसलिए, गोलक का त्वरण ( acceleration ), विस्थापन ( displacement ) के आनुपातिक होता है और उसके विपरीत दिशा में कार्य करता है।


इस विषय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न देखें –