What is principle of Moment?
आघूर्ण का सिद्धांत क्या है?
आघूर्ण का सिद्धांत ( Principle of moment ) यह दर्शाता है कि –
यदि एकाधिक co-planner forces संतुलन ( equilibrium ) में है, तो किसी बिंदु पर उनके moment का बीजगणितीय योग शून्य होता है।
आघूर्ण का सिद्धांत ( Principle of moment ) निम्नलिखित विषयों पर आधारित संख्यात्मक प्रश्नों को हल करने में बहुत उपयोगी होता है –
- समानांतर बलों का समूह ( parallel forces )
- अपरूपण बल और बंकन आघूर्ण ( hear force and bending moment diagrams ) के आरेख।
- स्ट्रक्चरल सदस्य ( structural member ), कैंटीलीवर्स ( cantilevers ).
- बीम में विक्षेपण ( Deflection in beams ), कॉलम और स्ट्रट्स ( column & struts ) आदि से संबंधित।
आघूर्ण ( moment ) का सिद्धांत, वेरिग्नन की प्रमेय ( Verignon’s theorem ) पर आधारित होता है।
Geometry of Moment
आघूर्ण की ज्यामिति
रेखांकन तरीके से बल के आघूर्ण ( moment ) को दर्शाने की विधि को आघूर्ण की ज्यामिति ( geometry of moment ) कहा जाता है।
आघूर्ण का सिद्धांत ( Principle of moment ) की मदद से आघूर्ण की ज्यामिति, इस प्रकार से प्राप्त होती है –
चित्र में दिखाए गए बल ( \vec {AB} ) पर विचार करें। बल की दिशा, मान और क्रिया रेखा को रेखा खंड ( \vec {AB} ) के द्वारा दर्शाया गया है। माना कि इस बल की क्रिया रेखा से बाहर O कोई एक बिंदु है। बिंदु O से, रेखा खंड AB पर एक लम्ब OM को खिंचा जाता है। बिंदु O को बिंदु A और B के साथ जोड़ते हैं।
तब O बिंदु पर बल ( \vec {AB} ) का बल आघूर्ण होगा –
( AB \times OM ) = 2 \times \ \triangle {OAB} \ \text {त्रिभुज का क्षेत्रफल}
अतः एक आघूर्ण को एक त्रिभुज के क्षेत्र के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। इसे आघूर्ण ( moment ) का ज्यामितीय प्रदर्शन ( geometrical representation ) कहा जाता है।
Varignon’s Theorem
वेरिग्नन की प्रमेय
वेरिग्नन की प्रमेय ( Verignon’s theorem ) प्रकट करता है कि –
किसी बिंदु पर दो बलों की क्रिया रेखा के तल पर स्थित बल के आघुर्णों का योग ( algebraic sum ), उस बिंदु पर बलों के परिणामी बल ( resultant force ) के आघूर्ण के बराबर होता है।
PROOF
माना कि, एक बिंदु E पर क्रियाशील दो समतलीय बल ( P ) और ( Q ) , क्रमशः EX और EY क्रिया रेखा पर कार्य कर रहे हैं।
दोनों बलों के तल पर स्थित एक बिंदु O पर विचार करें।
बिंदु O से एक रेखा OC को EX के समांतर खींचा जाता है, जो EY को बिंदु B पर काटता है। माना कि रेखा खंड EB, बल ( Q ) की लंबाई का प्रतिनिधित्व कर रहा है।
इसलिए, आरेख का स्केल होगा –
= \frac {\text {बल ( Q ) का मान }}{\text {रेखा खंड ( EB ) कि लम्बाई}}
उपरोक्त स्केल का उपयोग करके EX पर एक रेखा खंड EA काटते हैं जो बल ( P ) के मान का प्रतिनिधित्व करेगा।
अब ( AC \parallel EB ) खींच कर, समांतर चतुर्भुज EBCA को पूरा करते हैं।
बलों के समांतर चतुर्भुज के नियम ( parallelogram law of forces ) के अनुसार, विकर्ण EC, बल ( P ) और ( Q ) के परिणामी बल ( resultant force ) का प्रतिनिधित्व करेगा।
बिंदु O को E और A के साथ जोड़ते हैं। आघूर्ण की ज्यामिति के सिद्धांत के अनुसार हम पाते हैं कि –
- बिंदु O पर, बल ( P ) का बल आघूर्ण ( moment ) का प्रतिनिधित्व – \quad 2 \times \triangle OAE का क्षेत्र करता है।
- बिंदु O पर, बल ( Q ) का बल आघूर्ण ( moment ) का प्रतिनिधित्व – \quad 2 \times \triangle OEB का क्षेत्र करता है।
- बिंदु O पर, बल ( R ) का बल आघूर्ण ( moment ) का प्रतिनिधित्व – \quad 2 \times \triangle OEC का क्षेत्र करता है।
आरेख की ज्यामिति से पता चलता है कि –
( \triangle OEC ) = ( \triangle OEB + \triangle BEC )
और ( \triangle BEC ) = ( \triangle EAC )
( क्योंकि दोनों त्रिभुजों का क्षेत्र, सामानांतर चतुर्भुज ( EBCA ) के क्षेत्र का आधा है। )
अतः \quad ( \triangle OEC ) = ( \triangle OEB + \triangle EAC )
पुनः ( \triangle EAC ) = ( \triangle OEA )
( क्योंकि दोनों त्रिभुज एक ही आधार पर हैं और एक ही सामानांतर रेखाओं के बीच स्थित हैं। )
अतः \quad ( \triangle OEC ) = ( \triangle OEB + \triangle OEA )
दोनों पक्षों को 2 से गुना करने पर हम पाते हैं कि –
2 \times \triangle OEC = 2 \times \triangle OEB + 2 \times \triangle OEA
या, ( EC ) का बल आघूर्ण = ( EB ) का बल आघूर्ण + ( EA ) का बल आघूर्ण।
इसलिए, O बिंदु पर परिणामी बल ( R ) का आघूर्ण = O बिंदु पर बल ( P ) का आघूर्ण + O बिंदु पर बल ( Q ) का आघूर्ण।
यह सम्बन्ध किसी भी संख्या के बलों पर लागु किया जा सकता है।
System of parallel Forces
सामानांतर बलों का समूह
सामानांतर बलों के एक समूह का परिणामी बल ज्ञात करने के लिए वेरिग्नन की प्रमेय ( Verignon’s theorem ) को उपयोग में लाया जाता है।
दो बल वाले किसी सामानांतर बलों का समूह निम्न प्रकार का हो सकता है –
- सदृश सामानांतर बल ( Like parallel force system )
- असदृश सामानांतर बल ( Unlike parallel force system )
LIKE PARALLEL FORCES ( सदृश सामानांतर बल ) – दो समानांतर बल जब एक ही भावना ( sense ) से कार्य करते हैं अर्थात जब वे एक ही वस्तु के विभिन्न बिंदुओं पर एक ही दिशा में लगते हैं तब उन्हें सदृश सामानांतर बल कहा जाता है।
UNLIKE PARALLEL FORCES ( असदृश सामानांतर बल ) – दो समानांतर बल जब भिन्न भावना ( sense ) से कार्य करते हैं अर्थात जब वे एक ही वस्तु के विभिन्न बिंदुओं पर विपरीत दिशा में लगते हैं तब उन्हें असदृश सामानांतर बल कहा जाता है।
Resultant of parallel Forces
सामानांतर बलों का परिणामी बल
माना कि, एक वस्तु के दो बिंदु A और B पर, दो सामानांतर बल क्रमशः ( P ) और ( Q ) लग रहे हैं। मान लें कि ( P > Q ) और उनका परिणामी बल ( R ) रेखा AB या उसके बढ़े हुए हिस्से को C बिंदु पर काटता है।
चित्र ( A ) में दो सदृश समानांतर बलों का समूह ( like parallel forces ) और चित्र ( B ) में दो असदृश समानांतर बलों का समूह ( unlike parallel forces ) के परिणामी बल ( resultant force ) को दिखाया गया है।
चुकीं दोनों बलों कि दिशाएँ सामानांतर हैं अतः उनका परिणामी बल ( R ) कुछ इस प्रकार होगा –
- चित्र ( A ) में, सदृश सामानांतर बलों का परिणामी बल [ R = ( P + Q ) ] होता है।
- चित्र ( B ) में, असदृश सामानांतर बलों का परिणामी बल [ R = ( P - Q ) ] होता है।
और परिणामी बल ( R ) कि दिशा, बल ( P ) या बल ( Q ) के सामानांतर होगी।
चुकीं परिणामी बल ( R ) बिंदु C से होकर गुजरता है, इसलिए बिंदु C पर परिणामी बल ( R ) का आघूर्ण शुन्य होगा। अतः Varignon’s theorem के अनुसार बिंदु C पर, बल ( P ) और बल ( Q ) के बल आघुर्णों का योग का मान भी शुन्य होगा।
इसलिए, बिंदु C का अवस्थान इस प्रकार होता है कि बल ( P ) का आघूर्ण, बल ( Q ) के आघूर्ण के मान के बराबर परन्तु उसकी दिशा ठीक विपरीत होती है। ऐसा तभी संभव हो सकता है जब –
- सदृश बलों के लिए – जब बिंदु C रेखा खंड AB के मध्य स्थित होती है।
- असदृश बलों के लिए – जब बिंदु C रेखा खंड AB के बहार उसके बढ़े हुए हिस्से में स्थित स्थित होती है।
अब चित्र के अनुसार, बिंदु C से गुजरती हुई एक रेखा MN खींचते हैं जो दोनों बल ( P ) और ( Q ) कि क्रिया रेखा पर लंबवत होती है।
चित्र में, आरेख कि ज्यामिति से हमें पता चलता है कि ( CM = AC \cos \theta ) \ \text {और} \ ( CN = BC \cos \theta )
बिंदु C पर बलों का आघूर्ण ज्ञात करने पर हम पाते हैं कि –
P \times CM = Q \times CN
या \quad P \times AC \cos \theta = Q \times BC \cos \theta
दोनों पक्षों को ( \cos \theta ) से भाग देने पर –
P \times AC = Q \times BC
या, \quad \left ( \frac {P}{BC} \right ) = \left ( \frac {Q}{AC} \right )
इस प्रकार से हम निम्न निश्कर्ष पर पहुँचते हैं –
- सदृश सामानांतर बलों के लिए – बिंदु C, रेखा AB के अंदुरुनी हिस्से को दोनों बलों के मान के विपरीत अनुपात में काटती है।
- असदृश सामानांतर बलों के लिए – बिंदु C, रेखा AB के बाहरी बढ़ाये हिस्से को दोनों बलों के मान के विपरीत अनुपात में काटती है।
- यह स्पष्ट है कि, बिंदु C का अवस्थान, रेखा AB पर दोनों बलों के झुकाव ( inclination ) पर निर्भर नहीं करता है।
- बिंदु C को सामानांतर बलों का केंद्र बिंदु ( centre of the parallel forces ) कहा जाता है।