Venturimeter

What is Venturimeter?

वेन्चुरिमीटर ( venturimeter ) एक उपकरण है जो किसी पाइप से बहने वाले तरल के प्रवाह दर ( flow rate ) या निर्वहन ( discharge ) को मापने के काम मे लाया जाता है।

इसकी कार्य प्रणाली बर्नौली के प्रमेय ( Bernoulli’s theorem ) पर आधारित होती है।

Construction of Venturimeter

वेन्चुरिमीटर का निर्माण

अपने सरलतम रूप में एक वेन्चुरिमीटर निम्नलिखित भागों से निर्मित होता है।

  1. अभिसारी शंकु। ( Convergent Cone )
  2. गला। ( Throat )
  3. विचलन शंकु। ( Divergent Cone )

एक वेन्चुरिमीटर के निर्माण और कार्य सिद्धांत को नीचे दिए गए चित्र में दर्शाया गया है।

CONSTRUCTION AND WORKING OF A VENTURIMETER
131001 CONSTRUCTION AND WORKING OF A VENTURIMETER

Convergent cone

अभिसारी शंकु

यह एक छोटा सा शंकु पाइप है जो प्रमुख पाइप के व्यास (d_1) से एक छोटे व्यास (d_2) में परिवर्तित होता है।

अभिसारी शंकु को वेन्चुरिमीटर का प्रवेश द्वार ( inlet of venturimeter ) भी कहा जाता है। तरल प्रवाह के पृथक्करण ( separation ) से बचने के लिए शंकु के slope को ( 1 : 4 ) \ \text {से} ( 1 : 5 ) के बीच के रखा जाता है।

Throat

गला

अभिसरण शंकु आगे चलकर एक गले का निर्माण करती है। यह छोटी लम्बाई का वृत्ताकार पाइप होता है जिसमें व्यास (d_2) को स्थिर रखा जाता है।

Divergent cone

विचलन शंकु

गला एक विचलन शंकु ( divergent cone ) से जुड़ा होता है जो व्यास (d_2) से प्रमुख पाइप व्यास (d_1) में परिवर्तित होता है।

विचलन शंकु को वेन्चुरिमीटर का निकास द्वार ( outlet of venturimeter ) भी कहा जाता है। विचलन शंकु की लंबाई तरल प्रवाह के पृथक्करण ( separation of liquid flow ) से बचने के लिए अभिसारी शंकु की लंबाई से 3 \ \text {से} \ 4 गुना अधिक रखा जाता है।

Working principle of Venturimeter

वेन्चुरिमीटर कि कार्य प्रणाली

वेन्चुरिमीटर से बहता हुआ तरल, अभिसारी शंकु के खंड 1 और खंड 2 के बीच त्वरित ( accelerate ) होता है। त्वरण के कारण खंड 2 पर तरल का वेग ( velocity ) खंड 1 से अधिक हो जाता है। वेग में यह वृद्धि, खंड 2 पर दबाव ( pressure ) में कमी के परिणाम से होता है।

गला के खंड 2 पर का दबाव शीर्ष ( pressure head ), यदि तरल के पृथक्करण दबाव ( separation head )( जो पानी के लिए (2.5 ) मीटर है ) से नीचे गिरता है, तब तरल प्रवाह का पाइप के दिवार से अलग होने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। पृथक्करण की इस प्रवृत्ति से बचने के लिए गले और प्रमुख पाइप के व्यास का अनुपात \left ( \frac {d_1}{d_2} \right ) को सुनिश्चित कर \left ( \frac {1}{3} \ \text {से} \ \frac {1}{2} \right) के बीच रखा जाता है।

वेन्चुरिमीटर द्वारा बहता हुआ तरल, विचलन शंकु में खंड 2 और खंड 3 के बीच मंदता ( retardation ) के कारण तरल का वेग कम हो जाता है जिसके परिणाम से दबाव पुनः बढ़ जाता है।

दबाव और सीमा परत प्रभाव ( boundary layer effect ) में तेजी से वृद्धि के कारण वेन्चुरिमीटर के विचलन शंकु की दीवारों से तरल के पृथक्करण की संभावना बढ़ जाती है। इस पृथक्करण से बचने के लिए, विचलन शंकु को अभिसारी शंकु की तुलना में 3 \ \text {से लेकर} \ 4 गुना लम्बा बनाया जाता है। यह घर्षण क्षय ( frictional losses ) को कम करने में भी सहायक होता है।

वेन्चुरिमीटर के प्रवेश द्वार खंड 1 और गले का खंड 2 के बीच छोटी नली लगी होती है जिनसे पीजोमेटेर ( piezometer ) या U ट्यूब मैनोमीटर ( manometer ) को जोड़ने का प्रबंध होता है। ये उपकरण खंड 1 और खंड 2 के बीच के दबाव के अंतर को मापने के लिए लगाए जाते हैं।

जैसे – जैसे तरल प्रदार्थ वेन्चुरिमीटर से बहती है, प्रवाह पथ के क्षेत्र ( area of cross section ) में कमी के कारण गले के खंड 2 में तरल प्रदार्थ का वेग बढ़ जाता है। वेग ( Velocity ) में यह वृद्धि दबाव ( pressure ) में कमी के परिणाम से होता है।

वेन्चुरिमीटर कि कार्य प्रणाली, बर्नौली के प्रमेय ( Bernoulli’s theorem ) पर आधारित है। क्रमशः प्रवेश द्वार और गले के खंड 1 और खंड 2 पर विचार करें। मान लें –

  • ( a_1 ) प्रवेश द्वार के खंड 1 का क्षेत्रफल है।
  • ( a_2 ) गले के खंड 2 का क्षेत्रफल है।
  • ( v_1 ) प्रवेश द्वार के खंड में तरल का वेग ( velocity ) है।
  • ( v_2 ) गले के खंड में पर तरल का वेग ( velocity ) है।
  • ( p_1 ) प्रवेश द्वार के खंड 1 पर दबाव की तीब्रता ( pressure intensity ) है।
  • ( p_2 ) गले के खंड 2 पर दबाव की तीव्रता है।
  • ( Q ) वेन्चुरिमीटर से निर्वहन ( discharge ) है।
  • ( w ) पाइप से बहने वाले तरल का विशिष्ट भार ( specific weight ) है।

मान लें कि मीटर को क्षैतिज रूप से रखा गया है और ऊर्जा क्षय ( energy loss ) नगण्य है।

अतः \quad Z_1 = Z_2

हम बर्नौली के प्रमेय ( Bernoulli’s theorem ) को खंड 1 और खंड 2 पर लागू कर सकते हैं। इस प्रकार हमें प्राप्त होता है –

\frac {p_1}{w} + \frac {v_1^2}{2g} = \frac {p_2}{w} + \frac {v_2^2}{2g}

या, \quad \frac {v_2^2}{2g} - \frac {v_1^2}{2g} = \frac {p_1}{w} - \frac {p_2}{w}

माना कि, \quad \frac {p_1}{w} - \frac {p_2}{w} = h है। इसे Venturi Head कहा जाता है।

इसलिए, \quad \frac {v_2^2}{2g} - \frac {v_1^2}{2g} = h

या, \quad v_2^2 - v_1^2 = 2 g h

निरंतरता के समीकरण ( equation of continuity ) से हमें पता चलता है कि \quad Q = a_1 v_1 = a_2 v_2

इसलिए, \quad v_2 = \frac {a_1}{a_2} v_1

इसलिए, \quad \frac {a_1^2} {a_2^2} v_1^2 - v_1^2 = 2 g h

या, \quad \left [ \frac {a_1^2 - a_2^2} {a_2^2} \right ] v_1^2 = 2 g h

या, \quad v_1 = \left [ \frac {a_2}{\sqrt {a_1^2 - a_2^2}} \right ] \sqrt {2 g h}

लेकिन \quad Q = a_1 v_1

इसलिए, \quad Q = \left [ \frac {a_1 a_2} {\sqrt {a_1^2 - a_2^2}} \right ] \sqrt {2 g h}

ऊर्जा क्षय ( energy loss ) को नगण्य मानते हुए यह समीकरण तरल प्रदार्थ के निर्वहन ( discharge ) को बताती है। वास्तविक हालत में ऊर्जा का नुकसान होता है और वास्तविक निर्वहन ( discharge ) उपरोक्त मान से कम होता है।

इसलिए वास्तविक मामले के लिए, प्रवाह या निर्वहन की दर –

Q = \left [ \frac {C_d a_1 a_2}{\sqrt {a_1^2 - a_2^2}} \right ] \sqrt {2 g h}

जहां (C_d) को निर्वहन का गुणांक ( Coefficient of discharge ) कहा जाता है।

उपरोक्त संबंध में, अनुपात \left ( \frac {a_1}{a_2} \right ) = K को वेंचुरी स्थिरांक ( Venturi Consrtant ) कहा जाता है।

उपरोक्त निर्वहन समीकरण ( discharge equation ) को फिर से व्यवस्थित करने पर –

Q = C_d \left [ \frac {a_1} {\sqrt {K^2 - 1}} \right ] \sqrt {2 g h}

इस रूप में निर्वहन समीकरण ( discharge equation ) का उपयोग बहुत सुविधाजनक होता है।


Orifice meter

CONSTRUCTION AND WORKING OF ORIFICE METER
131002 CONSTRUCTION AND WORKING OF ORIFICE METER

छिद्र मीटर

किसी पाइप में बहते तरल का निर्वहन ( discharge ) को मापने के लिए एक छिद्र मीटर ( Orifice meter ) का उपयोग किया जाता है।

यह बर्नौली के प्रमेय ( Bernoulli’s theorem ) के सिद्धांत पर काम करता है।

एक छिद्र मीटर, अपने सरलतम रूप में एक प्लेट होती है जिसमें एक तेज धार वाला गोलाकार छिद्र होता है, जिसे छिद्र ( Orifice ) के रूप में जाना जाता है। इस प्लेट को पाइप के अंदर लगा दिया जाता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।

एक पारा मनोमेटेर ( mercury manometer ) को पाइप के खंड 1 और गले या छिद्र के खंड 2 के बीच के pressure difference को जानने के लिए डाला जाता है। मान लें –

  • ( a_1 ) छिद्र मीटर ( orifice meter ) के प्रमुख पाइप या प्रवेश खंड 1 का क्षेत्रफल है।
  • ( v_1 ) प्रवेश खंड 1 में तरल का वेग ( velocity ) है।
  • ( p_1 ) प्रवेश खंड 1 पर दबाव की तीब्रता ( pressure intensity ) है।
  • ( Q ) छिद्र मीटर के द्वारा तरल का निर्वहन ( discharge ) है।
  • ( w ) पाइप लाइन के माध्यम से बहने वाले तरल का विशिष्ट भार ( specific weight ) है।
  • ( h ) पारा मैनोमीटर ( manometer ) का पठन है।

a_2, \ v_2, \ p_2 गले के खंड 2 पर संबंधित मान हैं।

अब, बर्नौली के प्रमेय ( Bernoulli’s equation ) को खंड 1 और खंड 2 के लिए लागू कर सकते हैं –

Z-1 + \frac {p_1}{w} + \frac {v_1^2}{2g} = Z_2 + \frac {p_2}{w} + \frac {v_2^2}{2g}

माना कि, पाइप क्षैतिज रूप में अवस्थित है, तब \quad Z_1 = Z_2

इसलिए, \quad \frac {v_2^2}{2g} - \frac {v_1^2}{2g} = \frac {p_1}{w} - \frac {p_2}{w}

लेकिन \quad \frac {p_1}{w} - \frac {p_2}{w} = h मैनोमीटर का पठन।

इसलिए, \quad h = \frac {v_2^2} {2g} - \frac {v_1^2} {2g}

या, \quad v_2^2 - v_1^2 = 2 g h

निरंतरता के समीकरण ( equation of continuity ) से हमें पता चलता है कि \quad Q = a_1 v_1 = a_2 v_2

इसलिए, \quad v_2 = \frac {a_1}{a_2} v_1

इसलिए, \quad \frac {a_1^2} {a_2^2} v_1^2 - v_1^2 = 2 g h

या, \quad \left [ \frac {a_1^2 - a_2^2} {a_2^2} \right ] v_1^2 = 2 g h

या, \quad v_1 = \left [ \frac {a_2}{\sqrt {a_1^2 - a_2^2}} \right ] \sqrt {2 g h}

लेकिन \quad Q = a_1 v_1

इसलिए, \quad Q = \left [ \frac {a_1 a_2} {\sqrt {a_1^2 - a_2^2}} \right ] \sqrt {2 g h}

ऊर्जा क्षय ( energy loss ) को नगण्य मानते हुए आदर्श परिस्थितियों में यह समीकरण तरल प्रदार्थ का निर्वहन ( discharge ) बताती है। वास्तविक मामलों में ऊर्जा का नुकसान होता है और वास्तविक निर्वहन ( discharge ) उपरोक्त मान से कम होता है।

यदि ( C_d ) छिद्र मीटर का निर्वहन गुणक ( Coefficient of discharge ) है तब –

Q = \left [ \frac {C_d a_1 a_2}{\sqrt {a_1^2 - a_2^2}} \right ] \sqrt {2 g h}


Pitot tube

CONSTRUCTION AND WORKING OF A PITOT TUBE
131003 CONSTRUCTION AND WORKING OF A PITOT TUBE

पिटोट ट्यूब

पिटोट ट्यूब, एक उपकरण है जो किसी पाइप या तरल की धारा में आवश्यक बिंदु पर प्रवाह के वेग ( velocity ) को मापने के काम आता है।

सरलतम रूप में, एक पिटोट ट्यूब ( 90 \degree ) मुड़ी हुई कांच की नली होती है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।

ट्यूब का निचला छोर प्रवाह की दिशा का सामना करता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। बहते हुए तरल के दबाव के कारण, तरल पिटोट ट्यूब में ऊपर चढ़ता है। ट्यूब में तरल के ऊंचाई को मापकर, हम तरल प्रवाह के वेग का पता लगा सकते हैं। मान लें –

  • ( h ) पिटोट ट्यूब में चढ़े हुए तरल की ऊँचाई है।
  • ( H ) तरल में ट्यूब की गहराई है।
  • ( v ) तरल का वेग है।

खंड 1 और खंड 2 के लिए बर्नौली के समीकरण ( Bernoulli’s equation ) को लागू करने पर –

H + \frac {v^2}{2g} = H + h

या, \quad h = \frac {v^2} {2g}

इसलिए, \quad v = \sqrt {2gh}

यह पाया गया है कि –

  1. यदि पिटोट ट्यूब कि नाक को प्रवाह कि दिशा से हटकर पार्शव दिशा में साइड की तरफ रखा जाता है, तो ट्यूब में तरल नहीं चढ़ता है।
  2. परंतु अगर पिटोट ट्यूब कि नाक को प्रवाह कि दिशा के विपरीत दिशा में रखा जाता है, तो ट्यूब में तरल स्तर ( h ) के बराबर नीचे उतरता है, जहाँ –

h = \sqrt {\frac {v^2}{2g}}

जहाँ ( v ) तरल प्रवाह का वेग है।