Buoyancy

What is called buoyancy?

उत्प्लावक्ता क्या होता है?

तरल पदार्थ में डूबे हुए किसी वस्तु पर कार्य करने वाले ऊपर की ओर बल ( upward force ) को उत्थापक ( upthrust ) या उत्प्लावक बल ( buoyant force ) कहते हैं और इस घटना को उत्प्लावक्ता ( buoyancy ) कहते हैं।

उत्प्लावक्ता ( buoyancy ), वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के गुरुत्व केंद्र ( centre of gravity ) से होकर कार्य करता है जिसे उत्प्लावक्ता केंद्र ( centre of buoyancy ) कहा जाता है।

जब किसी वस्तु को किसी तरल ( fluid ) में डुबोया जाता है, तो तरल उस वस्तु के सभी सतहों पर दबाव ( pressure ) डालता है। तरल के इस दबाव को तरल का दबाव ( fluid thrust ) कहा जाता है जो तरल की गहराई के साथ बढ़ता है। वस्तु के निचली सतह पर ऊपर की ओर लगने वाला तरल का ऊपर की ओर लगने वाला बल ( upward thrust ), वस्तु के ऊपरी सतह पर नीचे ओर लगने वाले बल ( downward thrust ) से ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि निचली सतह, ऊपरी सतह की तुलना में ज्यादा गहराई पर होता है। अतः परिणामी बल ऊपर की ओर कार्य करता है।

उदाहरण –

  1. पानी के अंदर डाला हुआ एक कॉर्क ( cork ) एक ऊपर की ओर लगने वाला बल ( upward thrust ) या उत्प्लावक्ता ( buoyancy ) का अनुभव करता है और पानी के सतह पर आ जाता है।
  2. इसी तरह, कुँए से पानी खींचते समय पानी के अंदर होने पर बाल्टी का भार पानी से बाहर होने पर बाल्टी के भार से काफी कम होता है।

Archemede’s principle of buoyancy

आर्कमिडीज़ के उत्प्लावकता का सिद्धांत

आर्कमिडीज़ के उत्प्लावक्ता ( buoyancy ) के सिद्धांत में कहा गया है कि –

जब एक वस्तु को किसी तरल ( fluid ) में आंशिक या पूर्ण रूप से डुबोया जाता है तो वस्तु एक ऊपर की ओर ऊपर की ओर लगने वाला बल ( upward thrust ) का अनुभव करती है जो उस वस्तु द्वारा विस्थापित किये गए द्रव के भार के बराबर होता है। यह उत्थापक ( upthrust ), वस्तु द्वारा विस्थापित द्रव के गुरुत्व केंद्र ( centre of gravity ) से होकर कार्य करता है।

आर्कमिडीज़ के सिद्धांत, निम्नलिखित कथनों पर आधारित हैं –

  1. जब किसी वस्तु को किसी तरल में आंशिक या पूर्ण रूप से डुबोया जाता है तो वस्तु, ऊपर की ओर लगने वाले एक बल ( upward thrust ) का अनुभव करती है जो तरल द्वारा दबाव के कारण विकसित होता है।
  2. जब किसी वस्तु को किसी तरल में डुबोया जाता है तो वस्तु कुछ तरल को विस्थापित करती है जिसका आयतन तरल में डूबे हुए वस्तु के अंश के आयतन के बराबर होता है।
  3. डूबे हुए वस्तु पर ऊपर की ओर लगने वाला ( upward thrust ), उस वस्तु द्वारा विस्थापित किये गए तरल के भार के बराबर होता है।
  4. उत्प्लावक्ता ( buoyancy ) हमेशा विस्थापित तरल के गुरुत्व केंद्र ( centre of gravity ) से होकर कार्य करता है।

इस सिद्धांत की खोज, महान यूनानी वैज्ञानिक आर्किमिडीज़ ने 225 ई. पू. में किया था।

चित्र में दिखाए गए एक तरल पर विचार करें जिसका घनत्व ( density ) ( \rho ) है। तरल की मुक्त सतह से ( x ) गहराई पर अवस्थित ( h ) ऊंचाई वाले एक आयताकार वस्तु पर विचार करें।

BUOYANCY & ARCHEMEDES' PRINCIPLE
130701 BUOYANCY & ARCHEMEDES’ PRINCIPLE

माना कि, वस्तु के अनुप्रस्थ काट ( cross section ) का क्षेत्रफल ( a ) है। वस्तु के ऊपरी सतह पर तरल के दबाव ( pressure ) का मान होगा –

P_1 = x \rho g

अतः वस्तु के ऊपरी सतह पर तरल के दबाव ( thrust ) का मान होगा –

F_1 = P_1 a = x \rho g a \quad [ यह बल नींचे की दिशा में कार्य करता है। ]

वस्तु के निचली सतह पर तरल के दबाव ( Pressure ) का मान होगा –

P_2 = (x + h ) \rho g

अतः वस्तु के निचली सतह पर तरल के दबाव ( thrust ) का मान होगा –

F_2 = P_2 a = ( x + h ) \rho g a \quad [ यह बल ऊपर की दिशा में कार्य करता है। ]

वस्तु के दोनों बगल के सतहों पर लगता हुआ बल ( forces ), एक दूसरे के विपरीत दिशा में लगने के कारण एक दूसरे को रद्द कर देते हैं क्योंकि वे एक समान आकार के सतह पर लगने वाले बल हैं और समान गहराई पर अवस्थित हैं।

चुकीं निचली सतह कि गहराई, ऊपरी सतह कि गहराई से अधिक है, इसलिए \quad \left (F_2 > F_1 \right ) [/कॉटेक्स]। अतः वस्तु पर लगता हुआ परिणामी बल ( <a href="https://brainduniya.com/force-resolution#resolution-of-forces"><span style="color: #0000ff;"><em>resultant force</em></span></a> ) का मान होगा [katex] (F_2 - F_1 )

यह बल वस्तु पर ऊपर की दिशा में कार्य करता है और इसे उत्थापक ( upthrust ) ( U ) या उत्प्लावक्ता बल ( buoyant force ) कहा जाता है।

अतः \quad U= ( F_2 - F_1 )

= ( x + h ) \rho g a - x \rho g a

= a h \rho g

लेकिन, \quad a h = V ( वस्तु का आयतन है। )

पूर्ण रूप से डूबे हुए वस्तु द्वारा विस्थापित किये गए तरल का आयतन ( V ) होगा।

अतः \quad U = V \rho g = M g

क्योंकि \quad V \rho = M [ विस्थापित किये गए तरल का द्रव्यमान ( mass ) है। ]

अतः \quad \text {उत्प्लावक बल} = \text { विस्थापित किये गए तरल का भार}

यह युक्ति, उत्प्लावक्ता ( buoyancy ) के आर्कमिडीज़ के सिद्धांत ( Archemede's principle ) को सिद्ध करती है।

Apparent weight of immersed body

निमग्न वस्तु का आभासी भार

जब एक वस्तु को किसी तरल ( fluid ) में आंशिक या पूर्ण रूप से डुबोया जाता है तो वस्तु के भार में कुछ कमी आती है। भार में यह कमी आर्कमिडीज के सिद्धांत के अनुसार होती है। इसलिए एक तरल पदार्थ में डूबे हुए वस्तु के भार को प्रत्यक्ष भार ( apparent weight ) कहा जाता है।

डूबे हुए वस्तु का वास्तविक भार ( actual weight ) ( W ) नींचे की ओर कार्य करता है जबकि उत्प्लावक्ता बल ( buoyant force ) ( U ) ऊपर की ओर कार्य करता है।

मान लें कि -

  • \rho = वस्तु के पदार्थ का घनत्व ( density ) है।
  • \sigma = तरल का घनत्व ( density ) है।

हम जानते हैं कि -

\text {Apparent weight} = \text {Actual weight} - \text {Buoyant force}

अतः \quad W_{app} = W - U

= V \sigma g - V \rho g

= V \sigma g \left ( 1 - \frac {\rho}{\sigma} \right )

= W \left ( 1 - \frac {\rho}{\sigma} \right )

यदि ( W \ \text {और} \ \sigma ) का मान ज्ञात हो तो इस समीकरण की मदद से किसी वस्तु के घनत्व ( density ) ( \rho ) को ज्ञात किया जा सकता है।


Laws of Flotation

प्लवनशीलता के नियम

प्लवनशीलता ( flotation ) के नियम बताते हैं कि -

कोई वस्तु किसी तरल में तभी प्लवन करती है जब वस्तु के विसर्जित भाग ( immersed part ) के द्वारा विस्थापित तरल का भार, वस्तु के भार के बराबर या उससे अधिक होता है।

व्याख्या -

जब कोई वस्तु पूरी तरह से या आंशिक रूप से किसी तरल में डूबता है तो निम्नलिखित दो ऊर्ध्वाधर बल ( vertical force ) उस पर कार्य करते हैं। ये हैं -

  1. वास्तविक भार ( W ) , जो वस्तु के गुरुत्व केंद्र से लंबवत नींचे की ओर कार्य करता है।
  2. उत्थापक ( upthrust ) या उत्प्लावक बल ( Buoyant force ) जो वस्तु के विस्थापित द्रव के गुरुत्व केंद्र से लंबवत नींचे की ओर कार्य करता है।।

तब ( W ) और ( U ) के मूल्यों के आधार पर तीन स्थितियां संभव हैं -

  1. वस्तु का भार, तरल द्वारा लगाए गए उत्प्लावक बल से अधिक है यानि ( W ) > ( U )
  2. वस्तु का भार, तरल द्वारा लगाए गए उत्प्लावक बल के बराबर है यानि ( W ) = ( U )
  3. वस्तु का भार, तरल द्वारा लगाए गए उत्प्लावक बल से कम है यानि ( W ) < ( U )
BUOYANCY & LAWS OF FLOTATION
130702 BUOYANCY & LAWS OF FLOTATION

(A) जब W > U

वस्तु का भार, तरल द्वारा लगाए गए उत्प्लावक बल से अधिक होता है।

वस्तु पर नींचे कि ओर लगता हुआ कुल बल ( W - U ) होगा। अतः वस्तु तरल में डूब जाएगी।

अब \quad W > U

या, \quad V \sigma g > V \rho g

या, \quad \sigma > \rho

अर्थात, जब किसी वस्तु का घनत्व तरल के घनत्व से अधिक होता है तब वस्तु तरल में डूब जाती है।

उदाहरणार्थ - एक लोहे का टुकड़ा या पत्थर पानी में डूब जाते हैं।

(B) जब W = U

वस्तु का भार, तरल द्वारा लगाए गए उत्प्लावक बल के ठीक बराबर होता है।

वस्तु पर कोई पारिणामिक बल ( net force ) नहीं लगता है। अतः वस्तु तरल में पूर्ण रूप से डूबकर तैरने लगती है।

अब \quad W = U

या, \quad V \sigma g = V \rho g

या, \quad \sigma = \rho

अर्थात, जब किसी वस्तु का घनत्व तरल के घनत्व के बराबर होता हैं तब तरल में  पूर्णरूप से डूबकर तैरने लगती है।

उदाहरणार्थ - जैतून के तेल का एक बून्द सामान मात्रा वाले पानी और अल्कोहॉल के मिश्रण में संतुलित अवस्था में रह सकता है क्योंकि ऐसे मिश्रण का घनत्व जैतून के घनत्व के बराबर हो जाता है।

(C) जब W < U

वस्तु पर नींचे कि ओर लगता हुआ उसका भार ( weight ), वस्तु पर ऊपर कि ओर लग रहे उत्प्लावक्ता बल ( buoyant force ) ( U ) से कम होता है।

इसलिए, कुल बल ( W - U ) ऊपर की ओर लगता है। अतः वस्तु तरल में आंशिक रूप से डूबकर तैरने लगती है। वस्तु का जितना अंश तरल में डूबा रहता है उसके द्वारा विस्थापित द्रव ( displaced liquid ) का भार वस्तु के वास्तविक भार ( actual weight ) के बराबर होता है।

अब \quad W < U

या, \quad V \sigma g < V \rho g

या, \quad \sigma < \rho

अर्थात, यदि किसी वस्तु का घनत्व तरल के घनत्व से कम होता है, तब वस्तु तरल में आंशिक रूप से डूबकर तैरने लगती है।

उदाहरणार्थ - एक कॉर्क ( cork ) का टुकड़ा पानी में तैरता है।

Fraction of submerged volume

निमग्न आयतन का अंशभाग

हम जानते हैं कि, जब वस्तु का भार विस्थापित तरल के भार से कम होता है तो वस्तु तरल के सतह के नींचे आंशिक रूप से डूब जाता है।

माना कि -

  • V = वस्तु का आयतन।
  • V' = वस्तु के निमग्न अंश का आयतन। इस आयतन को वस्तु का आर्द्र आयतन (wetted volume ) कहते हैं।

तब वस्तु के संतुलन ( equilibrium ) के लिए -

\text {वस्तु का भार} = \text {विस्थापित तरल का भार}

या, \quad V \sigma g = V' \rho g

या, \quad \left (\frac {V'}{V} \right ) = \left (\frac {\sigma}{\rho} \right )

या, \quad \left ( \frac {\text {वस्तु के निमग्न अंश का आयतन}}{\text {वस्तु का कुल आयतन}} \right ) = \left ( \frac {\text {वस्तु का घनत्व}}{\text {तरल का घनत्व}} \right )

Examples of floating bodies

प्लावित वस्तुओं के उदाहरण

  1. पानी जहाज इस्पात ( steel ) का बना होता है जिसका घनत्व पानी की तुलना में 8 गुना अधिक होता है। लेकिन जहाज के आंतरिक भाग को एक concave shape देकर खोखला बना दिया जाता है, ताकि वह अपने भार से बहुत अधिक भार वाले पानी को विस्थापित कर सके। इसलिए जहाज पानी में तैरता है और बहुत अधिक माल ढो सकता है।
  2. बर्फ पानी पर तैरती है क्योंकि बर्फ का घनत्व पानी के घनत्व की तुलना में कम होता है।
  3. मानव शरीर पानी के अपेक्षा थोड़ा सघन ( denser ) होता है। एक फुलाए हुए रबर ट्यूब ( rubber tube ) का भार कम होता है परन्तु उसका आकर बड़ा होने के कारण आयतन अधिक होता है जिससे उत्प्लावक्ता ( buoyancy ) बढ़ जाती है। इस प्रकार यह एक व्यक्ति को पानी में तैरने में मदद करता है।
  4. एक व्यक्ति नदी के पानी की तुलना में समुद्र के पानी में अधिक आसानी से तैर सकता है। समुद्र के पानी का घनत्व नदी के पानी के घनत्व की तुलना में अधिक होता है और इसलिए यह अधिक उत्प्लावक्ता ( buoyancy ) उत्पन्न करता है।
  5. एक मछली का औसतन घनत्व पानी से थोड़ा अधिक होता है। मछलियों के शरीर में स्विम ब्लाडर ( swim bladder ) नामक एक  अंग पाया जाता है जिसका आकार वे आवशयकता के अनुसार छोटा या बड़ा रूप में समायोजित ( adjust ) कर सकती हैं। यह ब्लाडर उत्प्लावकता को बढ़ाने में मदद करता है। इस ब्लाडर की मदद से मछलियाँ आसानी से पानी में तैरने में सक्षम होती हैं।