Pulley System

What is a Pulley System?

घिरनी प्रणाली क्या होता है?

घिरनी या चरखी ( pulley ) में एक डिस्क होती है जिसके रिम वाले हिस्से पर एक खांच बना होता है जिसमे, बल या प्रयास ( effort ) लगाने के लिए एक लचीली रस्सी ( rope ) या जंजीर ( chain ) लपेटी जाती है। चरखी एक बेलनाकार छड़ पर घूमती है जिसे एक्सल ( axle ) कहते हैं।

कुएं से पानी की बाल्टी उठाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चरखी सबसे प्रचलित उदाहरण है।

Use of pulley system

घिरनी प्रणाली का उपयोग

सरलतम रूप में घिरनी का उपयोग, प्रयास ( effort ) या गति ( motion ) की दिशा को बदलने के लिए किया जाता है।

  1. कुएँ से पानी की बाल्टी उठाने के लिए घिरनी का उपयोग होता है।
  2. अधिक ऊंचाई तक किसी बड़े भार को उठाने के लिए यौगिक घिरनी व्यवस्था ( Compound pulley system ) का उपयोग किया जाता है।
  3. स्ट्रक्चरल फ्रेम, गर्डर्स ( girders ) आदि पर भारी मशीनरी का निर्माण या स्थापना में घिरनी का उपयोग होता है।

Types of pulley system

घिरनी प्रणाली के प्रकार

प्रयास लगाने के लिए उपयोग की जाने वाली रस्सी या जंजीर के आधार पर, घिरनी व्यवस्था ( pulley system ) दो प्रकार कि होती है –

  1. रोप पुल्ली ( Rope pulley ) – (1) जब घिरनी के रिम पर रस्सी लपेटी जाती हैं तो उसे रोप पुल्ली ( Rope pulley ) कहा जाता है। (2) इसमें साधारणतः एक घिरनी का उपयोग किया जाता है। (3) इसका यांत्रिक लाभ कम होता है।
  2. चैन पुल्ली ( Chain pulley ) – (1) जब घिरनी के रिम पर जंजीर लपेटी जाती हैं तो उसे चैन पुल्ली ( Chain pulley ) कहा जाता है। (2) इसमें साधारणतः एक से अधिक घिरनिओं का उपयोग किया जाता है। (3) इसका यांत्रिक लाभ, रोप पुल्ली की तुलना में अधिक होता है।

घिरनियों की संख्या के आधार पर, घिरनी व्यवस्था ( pulley system ) कई प्रकार कि होती है –

  1. सरल घिरनी व्यवस्था ( Simple pulley system ) – (1) इसमें साधारणतः एक घिरनी का उपयोग किया जाता है। (2) एक घिरनी के कारण, इसका यांत्रिक लाभ ( mechanical advantage ) ( 1 ) होता है। (3) यह घिरनी व्यवस्था का सबसे सरल रूप होता है। (4) एक घिरनी प्रणाली का ज्यादा महत्व नहीं होता है। (5) इसका उपयोग सिर्फ लगाए गए बल की दिशा को बदलने के लिए किया जाता है।
  2. यौगिक घिरनी व्यवस्था ( Compound pulley system ) – (1) इसमें साधारणतः एक से अधिक घिरनिओं का उपयोग किया जाता है। (2) एकाधिक घिरनियों कि उपस्थिति के कारण इनका यांत्रिक लाभ अधिक होता है। (3) इनका नामकरण घिरनियों की संख्या के आधार पर किया जाता है। जैसे – दो घिरनी व्यवस्था, तीन घिरनी व्यवस्था आदि। (4) “दो घिरनी व्यवस्था”, एक यौगिक घिरनी व्यवस्था का सबसे सरल रूप होता है।
  3. पुल्ली ब्लॉक ( Pulley Blocks ) – (1) एक पुल्ली ब्लॉक प्रणाली में, एक ही धुरी पर अधिक संख्या में पुल्ली लगे होते हैं जो अपनी स्वतंत्र गति में घूमते हैं। (2) पुल्ली के एक सेट को एक ब्लॉक कहा जाता है। (3) अधिक यांत्रिक लाभ पाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
  4. डिफरेंसियल पुल्ली ( Differential Pulley ) – (1) इस प्रणाली में, एक ही धुरी पर दो पुल्ली लगे होते हैं जो अपनी स्वतंत्र गति से विपरीत दिशा में घूमते हैं। (2) दोनों पुल्ली से होकर एक अंतहीन चैन ( end-less chain ) गुजरती है। (3) अधिक यांत्रिक लाभ पाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

Velocity Ratio of Pulley system

घिरनी प्रणाली का वेलॉसिटी रेसिओ

किसी मशीन में, प्रयास ( effort ) और भार ( load ) के द्वारा तय की गयी दुरी के अनुपात को उसका वेलॉसिटी रेसिओ कहा जाता है।

अतः \quad \text {वेलॉसिटी रेसिओ} = \left ( \frac {\text {प्रयास द्वारा तय की गयी दुरी}}{\text {लोड द्वारा तय की गयी दुरी}} \right )

सरल घिरनी व्यवस्था  simple pulley system )

  1. सरल घिरनी व्यवस्था में केवल एक घिरनी ( pulley ) होती है।
  2. इस प्रकार के प्रणाली में, प्रयास पॉइंट के द्वारा तय दूरी = लोड पॉइंट के द्वारा तय दूरी।
  3. अतः, एक सरल घिरनी का वेलॉसिटी रेसिओ 1 होता है।

दो घिरनी व्यवस्था ( two pulley system )

  1. दो घिरनी व्यवस्था में दो घिरनियाँ होती हैं।
  2. इस प्रणाली में, प्रयास पॉइंट के द्वारा तय दूरी = 2 \times लोड पॉइंट के द्वारा तय दूरी।
  3. अतः दो घिरनी प्रणाली का वेलॉसिटी रेसिओ ( 2 ) होता है।

इस प्रकार, हम कह सकते है कि – “किसी घिरनी व्यवस्था का वेलॉसिटी रेसिओ, उस व्यवस्था में घिरनियों की संख्या के बराबर होता है।” 


Mechanical Advantage of Pulley

घिरनी प्रणाली का यांत्रिक लाभ

किसी मशीन के आउटपुट में उठाए गए लोड ( Load ) और इनपुट पर लगाए प्रयास  ( Effort ) के अनुपात को यांत्रिक लाभ ( mechanical advantage ) के नाम से जाना जाता है।

अतः यांत्रिक लाभ \quad MA = \left ( \frac{\text {लोड}}{\text {प्रयास}} \right )

उदहारण –

घिरनियों के यांत्रिक लाभ को समझने के लिए, “दो घिरनी व्यवस्था” ( Two Pulley System ) पर विचार करते है।

दो घिरनी व्यवस्था में दो घिरनियाँ होती हैं। इसमें प्रयास ( P ) को डोरी के एक छोर पर लगाया जाता है जो लगातार दो घिरनियों से गुजरता है। अंत में डोरी के दूसरे छोर को पहली घिरनी के एक्सल से बांध दिया जाता है।

दूसरी घिरनी के एक्सल पर एक लिंकेज के सहारे, लोड ( W ) को लटकाया जाता है। यदि, प्रयास के द्वारा तय की गई दूरी ( x ) होती है, तो लोड के द्वारा तय की गई दूरी \left ( \frac {x}{2} \right ) होगी।

इसलिए, प्रयास के द्वारा किया गया कार्य \left ( P \times x \right ) होगा और लोड को उठाने में प्राप्त कार्य \left ( W \times \frac {x}{2} \right ) होगा।

इसलिए, घर्षण की अनुपस्थिति में, ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत ( conservation of energy ) के अनुसार –

\left ( P \times x \right ) = \left ( W \times \frac {x}{2} \right )

अतः \quad \left ( \frac {W}{P} \right ) = \left ( \frac {2x}{x} \right ) = 2

या, \quad MA = 2

इसलिए, दो घिरनी व्यवस्था का यांत्रिक लाभ ( 2 ) होता है।

इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि – “घर्षण की अनुपस्थिति में, किसी घिरनी व्यवस्था का यांत्रिक लाभ, उस व्यवस्था में घिरनियों की संख्या के बराबर होता है।” 

Importance of number of ropes

MECHANICAL ADVANTAGE OF FOUR PULLEY SYSTEM
110701 MECHANICAL ADVANTAGE OF FOUR PULLEY SYSTEM

रस्सियों की संख्या का महत्व

चित्र में दिखाए गए “चार घिरनी व्यवस्था” ( Four pulley system ) पर विचार करें। इस व्यवस्थ में चार घिरनियाँ संयोजित ( combined ) हैं। अतः इसका वेलॉसिटी रेसिओ ( Velocity ratio ) ( 4 ) है।

चार घिरनियों की उपस्थिति के कारण, इसका यांत्रिक लाभ ( mechanical advantage ) ( 4 ) है।

अतः, एक यौगिक घिरनी व्यवस्था ( compound pulley system ) के वेलॉसिटी रेसिओ ( Velocity Ratio ) और यांत्रिक लाभ ( Mechanical Advantage ) को जांचने के लिए एक अन्य सरल विधि इस प्रकार से है –

  1. पुरे व्यवस्था में, भार या लोड को समर्थन देने वाली रस्सियों की संख्या की गणना करें।
  2. चित्र में, रस्सी संख्या 1, \ 2, \ 3 \ \text {और} \ 4 का उपयोग, भार या लोड को समर्थन देने के लिए किया गया है। इन्हें, लोड रोप ( load rope) कहा जाता है।
  3. रस्सी संख्या ( 5 ) का उपयोग केवल प्रयास को लगाने के लिए किया गया है। इसलिए इसकी गणना नहीं की जाती है। इसे, प्रयास रोप ( effort rope ) कहा जाता है।
  4. इस घिरनी व्यवस्था का वेलॉसिटी रेसिओ ( 4 ) है और यांत्रिक लाभ ( 4 ) है।

अतः किसी घिरनी व्यवस्था का वेलॉसिटी रेसिओ, लोड को समर्थन देने में उपयोग आने वाली रस्सियों की संख्या के बराबर होता है।


Pulley blocks

PULLEY BLOCK SYSTEM
110702 PULLEY BLOCK SYSTEM

पुल्ली ब्लॉक

पुल्ली ब्लॉक प्रणाली में, एक ही धुरी पर अधिक संख्या में पुल्ली लगे होते हैं जो अपनी स्वतंत्र गति में घूमते हैं। पुल्ली के एक सेट को ब्लॉक कहा जाता है।

चित्र में दो प्रकार के पुल्ली ब्लॉक प्रणाली को दिखाया गया है। चित्र के पहले पुल्ली ब्लॉक में, ऊपरी और निचली प्रत्येक ब्लॉक में ( 2 ) पुल्ली हैं। लोड ( W ) को इकाई दूरी तक उठाने के लिए, निचले ब्लॉक से जुड़ी प्रत्येक रस्सियों को इकाई लंबाई तक छोटा करना होगा।

चूंकि लोड से जुड़े निचले ब्लॉक से जुडी हुई रस्सियों की संख्या ( 4 ) है। इसलिए, प्रयास ( P ) के द्वारा, रस्सी की चार इकाइयों की लंबाई को खींचना पड़ेगा।

इसलिए, इसका वेलॉसिटी रेसिओ ( Velocity ratio ) ( 4 ) है।

चित्र के दूसरे पुल्ली ब्लॉक के, ऊपरी ब्लॉक में ( 3 ) और निचले ब्लॉक में ( 2 ) पुल्ली हैं। निचले ब्लॉक से लोड ( W ) जुड़ा है और उससे जुड़े रस्सियों की संख्या ( 5 ) है।

इसलिए, इसका वेलॉसिटी रेसिओ ( Velocity ratio ) ( 5 ) है।


Differential Pulley

DIFFERENTIAL PULLEY SYSTEM
110703 DIFFERENTIAL PULLEY SYSTEM

डिफरेंसियल पुल्ली

चित्र में एक वेस्टन डिफरेंशियल पुल्ली ( Weston’s Differential Pulley ) को दिखाया गया है।

इसमें एक सामान्य धुरी पर दो पुल्ली A \ \text {और} \ B लगे होते हैं। एक अंतहीन चैन ( endless chain ), पुल्ली A के ऊपर से गुजरने के बाद लोड ( W ) से जुड़े स्नैच ब्लॉक ( snatch block ) C के नीचे से होकर अंत में पुल्ली B से गुजरती है।

प्रयास ( P ) को चैन के उस हिस्से पर लगाया जाता है जो A पुल्ली के ऊपर से गुजरता है। चैन को फिसलने से रोकने के लिए पुल्ली में दांत बने होते हैं।

मान लें कि पुल्ली A \ \text {और} \ B कि त्रिज्या क्रमशः ( r_1 ) \ \text {और} \ ( r_2 ) तथा ( r_1 > r_2  )

पुल्ली A के एक घूर्णन में, ( 2 \pi r_1 ) लंबाई कि चैन, पुल्ली ( A ) के ऊपर से दाहिनी ओर गुजरती है और ( 2 \pi r_2 ) लंबाई कि चैन पुल्ली B के ऊपर से बाईं ओर गुजरती है।

इसलिए, पुल्ली A \ \text {और} \ B के बीच चैन का [ 2 \pi ( r_1 - r_2 )] हिस्सा कम हो जाता है। इसलिए, लोड ( W ) , अपने प्रारंभिक स्थिति से [ \pi ( r_1 - r_2 )] ऊँचा उठ जाता है।

प्रयास के द्वारा तय हुआ दुरी ( 2 \pi r_1 ) है। अत: इस प्रणाली का वेलॉसिटी रेसिओ होगा –

\left [ \frac { 2π r1 }{ π ( r1 - r2 ) } \right ] = \left [ \frac { 2 r1 }{ ( r1 - r2 ) } \right ]

पुल्ली पर दांतों की संख्या ( N ) पुल्ली की त्रिज्या ( r ) के समानुपाती होती है। मान लें ( N_1 \ \text {और} \ N_2 ) पुल्ली पर दांतों की संख्या है। तब वेलॉसिटी रेसिओ होगा –

\left [ \frac { 2N1 }{ ( N1 - N2 ) } \right ]