What is called a Lever?
उत्तोलक क्या होता है?
उत्तोलक ( lever ), एक सरल मशीन ( simple machine ) है जो एक कठोर छड़ की तरह होता है और एक स्थिर बिंदु ( fixed point ) पर घूमने में सक्षम होता है। इस बिंदु को अभिलम्ब बिंदु ( fulcrum point ) कहा जाता है। उत्तोलक का वर्गीकरण ( class of lever ), उसके भार बिंदु ( load point ) और प्रयास बिंदु ( effort point ) के सापेक्ष में अभिलम्ब बिंदु ( fulcrum point ) की स्थिति के आधार पर किया गया है।
उत्तोलक का उपयोग एक बल गुणक ( force multiplier ) के रूप में किया जाता है।
इसलिए उत्तोलक के वर्गीकरण को समझने के लिए उसके भार बिंदु ( load point ), प्रयास बिंदु ( effort point ) और अभिलम्ब बिंदु ( fulcrum point ) को समझना आवश्यक हो जाता है। चित्र में एक सीधे लीवर ( straight lever ) को दर्शाया गया है।
उत्तोलक ( lever ) का प्रदर्शन कुछ विशेष गुणों पर आधारित होता है जिसे मशीन पैरामीटर ( machine parameters ) कहा जाता है। ये हैं –
- लोड प्वाइंट ( Load point ) – लीवर के जिस बिंदु पर बाह्य लोड या कार्य, आउटपुट के रूप में प्राप्त होता है, उसे लोड पॉइंट ( load point ) कहा जाता है। चित्र में B लोड पॉइंट है।
- प्रयास पॉइंट ( Effort point ) – लीवर के जिस बिंदु पर प्रयास बल या कार्य, इनपुट के रूप में लगाया जाता है, उसे प्रयास पॉइंट ( effort point ) कहा जाता है। चित्र में A प्रयास पॉइंट है।
- फल्क्रम पॉइंट ( Fulcrum point ) – लीवर के जिस बिंदु पर वह मुड़ने में सक्षम होता है, उसे फल्क्रम पॉइंट ( fulcrum point ) कहा जाता है। चित्र में F फल्क्रम पॉइंट है।
- भार भुजा ( Load arm ) – लीवर के फल्क्रम पॉइंट और लोड पॉइंट के बीच की दूरी ( BF ) को लीवर का लोड भुजा ( load arm ) कहा जाता है। चित्र में ( y ) लोड भुजा की लंबाई है।
- प्रयास भुजा ( Effort arm ) – लीवर के फल्क्रम पॉइंट और प्रयास पॉइंट के बीच की दूरी ( AF ) को लीवर का प्रयास भुजा ( effort arm ) कहा जाता है। चित्र में ( x ) प्रयास भुजा की लंबाई है।
Classification of Lever
उत्तोलक का वर्गीकरण
उत्तोलक ( lever ) का वर्गीकरण ( classification ), तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं जैसे भार बिंदु ( load point ), प्रयास बिंदु ( effort point ) और अभिलम्ब बिंदु ( fulcrum point ) की सापेक्ष स्थिति ( relative position ) पर आधारित होता है। इनकी स्थिति के आधार पर लीवर को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है।
Class – 1 Lever
प्रथम श्रेणी का उत्तोलक
प्रथम श्रेणी के उत्तोलक ( first class lever ) में अभिलम्ब बिंदु ( fulcrum point ) F , उत्तोलक के मध्य में स्थित होता है। उत्तोलक के एक सिरे पर भार बिंदु ( load point ) B और दूसरे सिरे पर प्रयास बिंदु ( effort point ) A होता है।
उदाहरण –
- कैंची ( Scissors )।
- चिमटा ( Tongs )।
- पंजा हथौड़ा ( Claw hammer )।
- सामान्य संतुलन ( Common balance )।
- प्लायर ( Pliers )।
- रेंच ( Wrenches )।
- सी – सॉ ( See-saw )।
- सीधा लीवर ( Straight lever ) आदि।
दिए गए चित्र में एक कैंची के भार बिंदु ( load point ) B , प्रयास बिंदु ( effort point ) A और इन दोनों के बिच में स्थित अभिलम्ब बिंदु ( fulcrum point ) F को दर्शाया गया है।
Class – 2 Lever
द्वितीय श्रेणी का उत्तोलक
द्वितीय श्रेणी के उत्तोलक ( second class lever ) में, भार बिंदु ( load point ) B , मध्य में स्थित होता है। उत्तोलक के एक सिरे पर प्रयास बिंदु ( effort point ) A और दूसरे सिरे पर अभिलम्ब बिंदु ( fulcrum point ) F होता है।
उदाहरण –
- सुपारी तोड़ने का सरौता ( Betel nut cracker )।
- व्हील बैरो ( Wheel barrow )।
- ट्रॉली बैग ( Trolley bag )।
- बोतल खोलने वाला ( Bottle cap opener )।
- दरवाजा ( Door panel ) आदि।
दिए गए चित्र में एक सरौता के प्रयास बिंदु ( effort point ) A , अभिलम्ब बिंदु ( fulcrum point ) F और इन दोनों के बिच में स्थित भार बिंदु ( load point ) B को दर्शाया गया है।
Class – 3 Lever
तृतीय श्रेणी का उत्तोलक
तृतीय श्रेणी के उत्तोलक ( third class lever ) में, प्रयास बिंदु ( effort point ) A , उत्तोलक के मध्य में स्थित होता है। उत्तोलक के एक सिरे पर भार बिंदु ( load point ) B और दूसरे सिरे पर अभिलम्ब बिंदु ( fulcrum point ) F होता है।
उदाहरण –
- मानव हाथ ( Human hand )।
- संदंश ( Forceps )।
- स्टेपलर ( Stapler )।
- हाँकी स्टिक ( Hockey stick )।
- बंसी ( Fishing rod )।
- झाडू ( Sweeping broom ) आदि।
दिए गए चित्र में एक संदंश के भार बिंदु ( load point ) B , अभिलम्ब बिंदु ( fulcrum point ) F और इन दोनों के बिच में स्थित प्रयास बिंदु ( effort point ) A को दर्शाया गया है।
Effect of Fulcrum
फल्क्रम का प्रभाव
कम प्रयास लगाकर एक बड़े कार्य को करने के लिए सरल मशीन ( simple machine ) का उपयोग किया जाता है। मशीन से अधिक यांत्रिक लाभ ( mechanical advantage ) प्राप्त करना ही हमारी प्रमुख मंशा होती है।
चित्र में दिखाए एक उत्तोलक पर विचार करें जिसका उपयोग एक भारी पत्थर को उठाने के लिए किया जा रहा है।
- यहाँ भार ( load ) का मान, अर्थात पत्थर का भार एक निश्चित मात्रा ( fixed quantity ) है।
- यहाँ प्रयास ( effort ) को कम होने के लिए, प्रयास भुजा ( effort arm ) को बड़ा होना होगा। यह तभी संभव है, जब भार भुजा ( load arm ) की लंबाई को कम की जाए।
- भार भुजा ( Load arm ) की लंबाई को कम करने के लिए, हमें अभिलम्ब बिंदु ( fulcrum arm ) F को प्रयास बिंदु ( load point ) B की ओर घिसकाना होगा।
- अतः, किसी उत्तोलक का वेलॉसिटी रेसिओ ( velocity ratio ), अभिलम्ब बिंदु की स्थिति पर निर्भर करता है।
अतः, अधिक यांत्रिक लाभ प्राप्त करने के लिए, हमें लीवर की प्रयास भुजा और लोड भुजा के अनुपात को बढ़ाना पड़ता है। इस अनुपात को लीवरेज रेसिओ ( Leverage Ratio ) कहा जाता है।
अर्थात, लीवरेज रेसिओ \quad = \left ( \frac {\text {प्रयास भुजा की लंबाई}}{\text {लोड भुजा की लंबाई}} \right )
लीवरेज रेसिओ को बढ़ाने से वेलॉसिटी रेसिओ ( velocity ratio ) और यांत्रिक लाभ ( mechanical advantage ) दोनों साथ साथ बढ़ते हैं। परन्तु, यांत्रिक लाभ में वृद्धि की दर, वेलॉसिटी रेसिओ में वृद्धि की दर से कम होती है क्योंकि घर्षण ( friction ) बढ़ जाता है।
आदर्श परिस्थितियों में घर्षण नगण्य माना जाता है। अतः ( VR = MA ) होता है।
इस प्रकार से अभिलम्ब की स्थिति को बदलकर वेलॉसिटी रेसिओ और यांत्रिक लाभ में बदलाव किया जा सकता है। वेलॉसिटी रेसिओ पर घर्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, परन्तु इसका प्रभाव यांत्रिक लाभ पर पड़ता है। घर्षण में वृद्धि के कारण यांत्रिक लाभ में कमी आती है।
Compounding of Lever
लीवर की कम्पाउंडिंग
ऊपर वर्णित सीधे उत्तोलक पर विचार करें। इसमें, इनपुट कार्य \quad = ( P \ \times \ x ) और आउटपुट कार्य \quad = ( W \ \times \ Y ) हैं।
अतः, घर्षण नगण्य होने पर \quad ( P \ \times \ x ) = ( W \ \times \ Y )
या \quad \left ( \frac {W}{P} \right ) = \left ( \frac {x}{y} \right )
अतः \quad MA = \left ( \frac {W}{P} \right ) \text {या} \left ( \frac {x}{y} \right )
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि, उच्च यांत्रिक लाभ ( high mechanical advantage ) की मंशा पूरी करने के लिए, हमें निम्नलिखित शर्तों में से किसी एक को पूरा करना होगा –
- लोड ( W ) को प्रयास ( P ) की तुलना में बहुत अधिक होना होगा। अर्थात ( W >> P )
- प्रयास ( P ) को लोड ( W ) की तुलना में बहुत कम होना होगा। अर्थात ( P << W )
- प्रयास भुजा की लंबाई ( x ) को जितना संभव हो उतना अधिक होना होगा।
- लोड भुजा की लंबाई ( y ) को जितना संभव हो उतना कम होनी होगा।
परन्तु, कुछ विवशता ( constraints ) और स्थान की समस्या ( scarcity of space ) के कारण –
- बहुत लंबे लीवर का उपयोग करना संभव नहीं होता है।
- हम अपनी इच्छा के अनुसार लोड ( W ) के मान को कम नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह किसी दिए गए कार्य के लिए एक निश्चित मात्रा होती है।
- हम अपनी इच्छा के अनुसार प्रयास ( P ) को बढ़ा नहीं सकते क्योंकि यह मानव शक्ति द्वारा लागू बल है जो सीमित होता है।
इसलिए, यांत्रिक लाभ को बढ़ाने के लिए, केवल संभावित विकल्प यह बचा है कि, हम अभिलम्ब बिंदु F की स्थिति को समायोजित करें जिससे ( x >> y )
इसलिए, अभिलम्ब बिंदु की स्थिति को इस प्रकार समायोजित किया जाना चाहिए जिससे कि ( AF ) की लंबाई ( BF ) से बहुत अधिक है।
लेकिन एक बड़े भार को उठाने के लिए बहुत लम्बे सीधे लीवर का उपयोग करना संभव नहीं होता है। अतः लीवर की लंबाई (AF + BF) , स्थान की कमी के कारण सीमित हो जाती है। अतः उच्च यांत्रिक लाभ ( mechanical advantages ) प्राप्त करने के लिए हम कई उत्तलकों का समायोजन करते हैं।
इस पद्धति को उत्तोलक का यौगिकीकरण ( compounding of lever ) कहा जाता है।
Mechanical advantage of compound lever
यौगिक उत्तोलक का यांत्रिक लाभ
यांत्रिक लाभ या लीवरेज रेसिओ ( leverage ratio ) में वृद्धि प्राप्त करने के लिए एक यौगिक लीवर का उपयोग किया जाता है।
एक साधारण यौगिक उत्तोलक ( simple compound lever ) को चित्र में दिखाया गया है। इसमें तीन सीधे उत्तोलक ( straight lever ) हैं।
- बिंदु A उत्तोलक का प्रयास बिंदु ( effort point ) है और बिंदु D इसका भार बिंदु ( load point ) है।
- F_1 \ \text {और} \ F_2 इसके अभिलम्ब बिंदु हैं।
- बिंदु B \ \text {और} \ C हिंज पॉइंट हैं।
मान लें कि, कोई प्रयास बल ( P ) को बिंदु A पर नीचे की ओर लगाया जाता है। इस बल के लगाने से, लीवर रॉड AB , हिंज B के सहारे लीवर रॉड BC पर ऊपर की ओर बल लगाएगा।
मान लें कि, लीवर रॉड BC के द्वारा B बिंदु पर निचे कि और लगाई गई प्रतिक्रिया बल ( R ) है।
तब बलों के आघूर्ण का सिद्धांत ( principle of moment ) से हम प्राप्त करते हैं कि –
R \times BF_1 = P \times AF_1
या, \quad R = P \left ( \frac { AF_1 }{ BF_1 } \right )
अब रॉड BC लीवर C F_2 के C बिंदु पर ऊपर कि ओर प्रतिक्रिया बल ( R ) लगाएगा।
अतः \quad R \times C F_2 = W \times D F_2
या, \quad R = W \left ( \frac {DF_2}{CF_2} \right )
या, \quad \left ( \frac {W}{P} \right ) = \left ( \frac { AF_1 / BF_1 }{ DF_2 / CF_2 } \right )
अतः इस यौगिक लीवर का यांत्रिक लाभ ( mechanical advantage ) इस प्रकार होगा –
MA = \left ( \frac{ AF_1 / BF_1 }{ DF_2 / CF_2 } \right )
= \left [ \left ( \frac {AF_1}{BF_1} \right ) \times \left ( \frac {CF_2}{DF_2} \right ) \right ]
अर्थात, \quad \text {MA of compound lever} = \text {MA of lever} ( AB ) \ \times \ \text {MA of lever} ( CF_2 )