Pascal Law

What is Pascal Law?

पास्कल का सिद्धांत क्या है?

पास्कल के सिद्धांत ( Pascal Law ) को “पास्कल के तरल दबाव के संचारण का नियम” ( Pascal’s Law of transmission of fluid pressure )भी कहा जाता है।

इस सिद्धांत को विभिन्न रूप में वर्णित किया जा सकता है –

  1. चारों ओर से घिरे हुए तरल के किसी बिंदु पर डाला गया दबाव सभी दिशाओं में समान रूप से प्रसारित होता है।
  2. चारों ओर से घिरे हुए एक असंकुचनीय ( in-compressible ) तरल के दबाव में लाया गया कोई परिवर्तन, तरल के हर बिन्दुओं पर तथा पात्र की सभी दीवारों पर बिना घटे हुए प्रसारित होता है।
  3. गुरुत्व ( gravity ) की उपेक्षा करने पर एक स्थिर तरल में सभी बिंदुओं पर दबाव समान होता है।

Proof of Pascal law

पास्कल के सिद्धांत का सत्यापन

चित्र में दिखाए गए, स्थिरावस्था में रखे एक तरल ( fluid ) पदार्थ के एक समकोणीय त्रिभुजाकार प्रिज्म ABCDEF पर विचार करें। प्रिज्म काफी सूक्ष्म है, इसलिए इसके सभी सतहों और सभी बिंदुओं को तरल के मुक्त सतह से समान गहराई पर माना जा सकता है। अतः प्रिज्म के सभी बिन्दुओं पर गुरुत्व का प्रभाव एक समान होगा। इसे उपेक्षित किया जा सकता है।

माना की, प्रिज्म के BEFC, \ ADFC \ \text {और} \ ADEB सतहों पर, तरल का दबाव क्रमशः ( P_a ), \ ( P_b ) \ \text {और} \ ( P_c ) हैं और इन सतहों पर संबंधित लंबवत बल के मान क्रमशः ( F_a ), \ ( F_b ) \ \text {और} \ ( F_c ) हैं।

मान लें की, प्रिज्म के तीनों सतहों का क्षेत्रफल क्रमशः ( A_a ), \ ( A_b ) \ \text {और} \ ( A_c ) है और समकोण त्रिभुज ( \triangle ABC ) में ( \angle ACB = \theta ) है।

130201 PROOF OF PASCAL LAW
130201 PROOF OF PASCAL LAW

चुकीं तरल का प्रिज्म संतुलन ( equilibrium ) में है, अतः न्यूटन के नियम के अनुसार, तरल द्वारा विभिन्न दिशाओं में लगाया गया बल भी संतुलन में होना चाहिए।

  1. क्षैतिज दिशा में लगता हुआ बल ( F_b \sin \theta ) = F_c
  2. ऊर्ध्वाधर दिशा में लगता हुआ बल ( F_b \cos \theta ) = F_a

चित्र की ज्यामिति से हमें प्राप्त होता है कि –

( A_b \sin \theta ) = A_c \quad \quad और \quad ( A_b \cos \theta ) = A_a

उपरोक्त समीकरण से हम पाते हैं कि –

AREA VECTOR OF PASCAL LAW
130202 AREA VECTOR OF PASCAL LAW

\left ( \frac {F_b \sin \theta}{A_b \sin \theta} \right ) = \left ( \frac {F_c}{A_c} \right )

और \quad \left ( \frac {F_b \cos \theta}{A_b \cos \theta} \right ) = \left ( \frac {F_a}{A_a} \right )

अतः, \quad \left ( \frac {F_a}{A_a} \right ) = \left ( \frac {F_b}{A_b} \right ) = \left ( \frac {F_c}{A_c} \right )

या, \quad P_a = P_b = P_c

अतः एक स्थिर तरल पदार्थ में डाला गया दबाव सभी दिशाओं में एक सामान वितरित होता है।

यह युक्ति “पास्कल के तरल दबाव के संचारण का नियम” ( Pascal’s Law of transmission of fluid pressure ) को सिद्ध करता है।


Application of Pascal Law

पास्कल के सिद्धांत के उपयोग

पास्कल के सिद्धांत के विभिन्न उपयोग निम्नलिखित हैं –

  1. हाइड्रोलिक लिफ्ट।
  2. हाइड्रोलिक प्रेस।
  3. हाइड्रोलिक ब्रेक।

इनका विवरण इस प्रकार से है –

Hydraulic lift & hydraulic press

हाइड्रोलिक लिफ्ट या हाइड्रोलिक प्रेस

अधिक भार को उठाने के लिए “हाइड्रोलिक लिफ्ट” या विशालकाय वस्तुओं को दबाकर उनका आकार छोटा करने के लिए “हाइड्रोलिक प्रेस “ का उपयोग किया जाता है। ये साधन एक बल गुणक ( force multiplier ) की तरह कार्य करते हैं।

WORKING PRINCIPLE OF HYDRAULIC PRESS
130203 WORKING PRINCIPLE OF HYDRAULIC PRESS

एक हाइड्रोलिक लिफ्ट में अलग-अलग आकार के दो सिलेंडर C_1 और C_2 होते हैं जो एक नली के द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं। ये सिलेंडर, विभिन्न अनुप्रस्थ क्षेत्र वाले, रिसाव रहित ( leak proof ) एवं घर्षण रहित ( friction less ) पिस्टन के साथ लगे होते हैं।

माना कि, छोटे पिस्टन का अनुप्रस्थ क्षेत्र ( a ) है और उसपर ( f ) परिमान का एक बल ( force ) लगाया जाता है।

तब तरल पर लगाया गया दबाव ( P ) का मान होगा –

P = \left ( \frac {f}{a} \right )

पास्कल के सिद्धांत के अनुसार, यह दबाव बिना घटे हुए बड़े वाले पिस्टन पर लगेगा। माना कि, बड़े पिस्टन का अनुप्रस्थ क्षेत्र ( A ) है।

अतः बड़े पिस्टन पर लगने वाला बल ( force ) होगा –

F = P \times A = \left ( \frac {f}{a} \right ) \times A

या, \quad F = \left ( \frac {A}{a} \right ) \times f

चूँकि \quad ( A > a ) \quad इसलिए, \quad ( F > f ) .

इस प्रकार, अनुप्रस्थ क्षेत्र \left ( \frac {A}{a} \right ) के अनुपात को बढाकर, कम बल की सहायता से काफी बड़े भार जैसे ( मोटर गाड़ी, बस, ट्रक इत्यादि ) को बड़ी आसानी से उठाया जा सकता है। इसे “द्रव बल गुणक का सिद्धांत “ ( principle of multiplication of thrust ) कहा जाता है। तरल के जोर ( fluid thrust ) में वृद्धि होती है, तथापि तरल द्वारा किये गए कार्य ( work done ) में किसी प्रकार कि कोई वृद्धि नहीं होती है।

ऊर्जा संरक्षण ( conservation of energy ) के सिद्धांत के अनुसार –

पिस्टन ( P_1 ) पर, बल ( f ) के द्वारा किया गया कार्य = पिस्टन ( P_2 ) पर उत्पन्न बल ( F ) के द्वारा किया गया कार्य।

माना कि, पिस्टन ( P_1 ) , दुरी ( x_1 ) तय करता है। इसीप्रकार, पिस्टन ( P_2 ) दुरी ( x_2 ) दुरी तय करता है।

अतः पिस्टन ( P_1 ) द्वारा विस्थापित किये गए तरल का आयतन = पिस्टन ( P_2 ) द्वारा विस्थापित किये गए तरल का आयतन।

अर्थात, \quad a \times ( x_1 ) = A \times ( x_2 )

या, \quad \left ( \frac {A}{a} \right ) = \left ( \frac {x_1}{x_2} \right )

चुकीं, \quad A > a \quad इसलिए \quad x_1 > x_2

अतः पिस्टन ( P_2 ) पर प्राप्त अतिरिक्त बल ( thrust ) का मान, पिस्टन ( P_1 ) के द्वारा तय कि गयी अतिरिक्त दुरी के परिणामस्वरूप होता है।

Hydraulic brakes

हाइड्रोलिक ब्रेक

यान-वाहनों ( automobile ) में प्रयुक्त होने वाला हाइड्रोलिक ब्रेक तरल के “पास्कल के दबाव के संचारण के नियम” पर कार्य करता है।

एक हाइड्रोलिक ब्रेक में एक ट्यूब ( T ) के अंदर ब्रेक ऑयल ( brake oil ) भरा होता है। इस ट्यूब का एक सिरा एक पिस्टन ( P ) के साथ लगे मास्टर सिलेंडर ( master cylinder ) से जुड़ा होता है। पिस्टन ( P ) एक लीवर सिस्टम के माध्यम से ब्रेक पेडल ( brake pedal ) से जुड़ा हुआ होता है। ट्यूब का दूसरा छोर पहियों में स्थित पहिया सिलेंडर ( wheel cylinder ) से जुड़ा होता है। इस सिलेंडर में ( P_1 ) और ( P_2 ) नामक दो पिस्टन लगे होते हैं।

पिस्टन ( P_1 ) और ( P_2 ) आगे चलकर क्रमशः ( S_1 ) और ( S_2 ) नामक दो ब्रेक शू ( brake shoe ) से जुड़े होते हैं। पहिया सिलेंडर का अनुप्रस्थ क्षेत्र मास्टर सिलेंडर की तुलना में अधिक होता है।

WORKING PRINCIPLE OF HYDRAULIC BRAKES
130204 WORKING PRINCIPLE OF HYDRAULIC BRAKES

जब ब्रेक पेडल को दबाया जाता है तो इसका लीवर सिस्टम, पिस्टन ( P ) को मास्टर सिलेंडर में धकेलता है। यह दबाव सिलेंडर में स्थित ब्रेक ऑयल के माध्यम से पहिया सिलेंडर में स्थित पिस्टन ( P_1 ) और ( P_2 ) तक प्रेषित होता है। इस प्रकार दबाव, पिस्टन ( P_1 ) और ( P_2 ) को बाहर की ओर धकेलता है। इससे ब्रेक शू ( S_1 ) और ( S_2 ) , पहिया के रिम के अंदर दबाव डालते हैं। चूंकि पहिया सिलेंडर का अनुप्रस्थ क्षेत्र, मास्टर सिलेंडर की तुलना में अधिक होता है, इसलिए पैडल पर लगाया गया एक छोटा सा बल पहियों पर एक बड़ा अवरोध ( retarding force ) पैदा करता है।

जब पेडल को मुक्त कर दिया जाता है, तब एक returning spring, रिम से ब्रेक शू को वापस खींच लेता है और पहियों का ब्रेक मुक्त हो जाता है। पिस्टन ( P_1 ) और ( P_2 ) पुनः अपने सामान्य स्थिति पर लौट आते हैं और ब्रेक ऑयल को मास्टर सिलेंडर में वापस भेज दिया जाता है।