Phasor Diagram

What is called a Phasor diagram?

फेज़र आरेख क्या होता है?

फेज़र आरेख ( phasor diagram ) में समान आवृत्ति परन्तु अलग-अलग फेज़ कोणों और आयामों में सरल आवर्तीय गति ( Simple Harmonic Motion ) करने वाले कणों की स्थिति ( अर्थात phase ) का चित्रात्मक प्रदर्शन किया जाता है।

एक फेज़र आरेख ( phasor diagram ) का उपयोग करके सरल आवर्तीय गति करने वाले कणों की स्थितियों का विश्लेषण करना आसान हो जाता है। फेज़र आरेख ( phasor diagram ) बनाने के लिए हम इस प्रकार से आगे बढ़ते हैं –

पारम्परिक तरीके से यह मान लिया जाता है कि कण प्रारम्भ में माध्य स्थिति पर होता है। अर्थात ( t = 0 ) समय पर कण की स्थिति ( x = 0 ) बिंदु पर है। कण, दक्षिणावर्त दिशा में स्थिर वृत्तीय गति ( uniform circular motion ) से घूम रहा है।

तब, सरल आवर्तीय गति का सामान्य समीकरण इस प्रकार होगा –

x = A \sin ( \omega t + \phi _ { 0 } )

फेजर आरेखों का उपयोग करके संख्यात्मक समस्याओं का समाधान करना बहुत आसान हो जाता है जैसा कि निम्न उदाहरणों में दिया गया है –

EXAMPLE – 1

एक स्थिर वृत्तीय गति ( uniform circular motion ) से गतिमान कण के फेज़र आरेख ( phasor diagram ) पर विचार करें जो कि चित्र में दिखाया गया है। हमें इसकी गति का सामान्य समीकरण ( general equation of motion ) ज्ञात करना है।

दिखाए गए फेज़र आरेख की ज्यामिति से हम पाते हैं कि –

EXAMPLE -1 OF PHASOR DIAGRAM
060301 EXAMPLE -1 OF PHASOR DIAGRAM

\phi _ { 0 } = 30 \degree = \left ( \frac { \pi }{ 6 } \right )

अतः कण की गति का सामान्य समीकरण होगा –

x = - A \sin ( \omega t + \phi _ { 0 } )

= - A \sin \left [ \omega t + \left ( \frac { \pi }{ 6 } \right ) \right ]

EXAMPLE – 2

मान लें कि एक कण की प्रारंभिक स्थिति \left ( x = + \frac{ A }{ 2 } \right ) पर है और यह धनात्मक ( x ) दिशा में गति कर रहा है। इसके गति के सामान्य समीकरण का निर्धारण करना है ।

  • चित्र में कण की गति के लिए फेज़र आरेख तैयार किया गया है।
  • मान ले कि कण वृत्तीय परिधि पर दक्षिणावर्त दिशा ( clockwise ) में घूम रहा है।

    EXAMPLE -2 OF PHASOR DIAGRAM
    060302 EXAMPLE -2 OF PHASOR DIAGRAM
  • कण की प्रारंभिक स्थिति \left ( x = + \frac{ A }{ 2 } \right ) स्थान पर है।
  • इस परिस्थिति में कण की स्थिति P बिंदु पर या Q बिंदु पर में से कोई भी स्थान पर हो सकती है।
  • परन्तु, कण घनात्मक ( x ) दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसका तात्पर्य हुआ कि कण \left ( x = \frac {A}{2} \right ) से ( x = + A ) की दिशा में बढ़ रहा है।
  • इसलिए, यह सुनिश्चित होता है कि कण प्रारम्भ में P बिंदु की स्थिति में है।

अतः फेजर आरेख ( phasor diagram ) को पूरा करते हैं। फेज़र आरेख से हमें प्राप्त होता है कि –

\left [ \frac { \left ( \frac { A }{ 2 } \right ) }{ A } \right ] = \cos \angle { POP' } = \left ( \frac { 1 }{ 2 } \right )

या, \quad \angle { POP' } = 60 \degree

अतः \quad \phi = \left ( 90 - 60 \right ) \degree = \left ( \frac { \pi }{ 6 } \right )

इस प्रकार, कण कि सरल आवर्तीय गति का समीकरण होगा –

x = A \sin \left [ \omega t + \left ( \frac { \pi }{ 6 } \right ) \right ]


Phase

फेज़

सरल आवर्तीय गति करने वाले कण के द्वारा संदर्भ बिंदु ( reference point ) से प्रतिस्थापित कोणीय विस्थापन ( angular displacement ) ( रेडियन में ) को फेज  ( phase ) कहते हैं।

एक सरल आवर्त गति ( simple harmonic motion ) में जब कण अपनी चरम स्थिति ( अर्थात अधिकतम विस्थापन ) पर होता है तो वेग शून्य हो जाता है। साथ ही जब कण अपनी माध्य स्थिति ( शुन्य विस्थापन ) में होता है तो वेग अधिकतम होता है।

इसका मतलब यह हुआ कि, कण का अधिकतम वेग, कण के अधिकतम विस्थापन में पहुँचने से \left ( \frac {\pi}{2} \right ) रेडियंस पहले ही पूरा हो गया होता है। इसलिए, यदि हम विस्थापन और वेग को समय के अक्ष पर आरेख खींचते हैं, तो वेग का वक्र ( velocity curve ), विस्थापन के वक्र ( displacement curve ) से \left ( \frac {\pi}{2} \right ) रेडियंस आगे होगा। इस स्थिति को फेज़ ( phase ) शब्द के  द्वारा व्यक्त किया जाता है।

इस प्रकार, वेग वक्र का फेज़ विस्थापन वक्र के फेज़ से \left ( \frac {\pi}{2} \right ) रेडियंस आगे रहता है।

Phase Angle

फेज कोण 

एक कण के सरल आवर्तीय गति पर विचार करें। मान लीजिए कि ( t = 0 ) समय पर कण अपनी चरम की स्थिति ( x = +A ) से गति प्रारम्भ करता है। तब इसके गति समीकरण को इस प्रकार से लिखा जा सकता है –

x = A \cos \omega t …… विस्थापन ( Displacement ) समीकरण।

v = \left ( \frac { d x }{ d t } \right ) = - \omega A \sin \omega t ……. वेग ( Velocity ) समीकरण।

या, \quad v = \omega A \cos \left ( \omega t + \frac { \pi }{ 2 } \right )

a = \left ( \frac { d v }{ d t } \right ) = - \omega ^2 A \cos \omega t ……. त्वरण ( Acceleration ) समीकरण।

= \omega ^2 A \cos ( \omega t +  \pi )

इन सभी समीकरणों में पद ( \omega t ) को फेज़ कोण ( phase angle ) के नाम से जाना जाता है।

सरल आवर्तीय गति की आवर्त काल ( time period ) की परिभाषा से हम पाते हैं कि –

T = \left ( \frac { 2 \pi }{ \omega } \right )

अतः किसी समय ( t = t ) पर फेज कोण ( phase angle ) का मान होगा –

\omega t = \left ( \frac { 2 \pi }{ T } \right ) t

\text {फेज कोण ( Phase angle )} = \text {समय ( Time )} \times \left ( \frac { 2 \pi }{\text {आवर्त काल ( Time period )}} \right )

Phase relationship in Simple Harmonic Motion

सरल आवर्तीय गति में फेज़ सम्बन्ध

सरल आवर्तीय गति के गुणों ( characteristics of simple harmonic motion ) को समझने के लिए हम ( x, \ v, \ \text {और} \ a ) के मान को चक्र के दौरान विभिन्न अवस्थाओं पर ज्ञात कर सकते हैं। इन मानों को नींचे दिया गया है।

समय ( t )   ( 0 ), \ ( T ) \left ( \frac { T }{ 4 } \right ) \left ( \frac { T }{ 2 } \right ) \left ( \frac { 3T }{ 4 } \right )
फेज़ कोण ( \omega t ) ( 0 ), \ ( 2 \pi ) \left ( \frac { \pi }{ 2 } \right ) ( \pi ) \left ( \frac { 3 \pi }{ 2 } \right )
विस्थापन ( x ) ( + A ) ( 0 ) ( - A ) ( 0 )
वेग ( v ) ( 0 ) \left ( - \omega A \right ) ( 0 ) ( + \omega A )
त्वरण ( a ) ( - \omega ^2 A ) ( 0 ) ( + \omega ^2 A ) ( 0 )

इन मानों को एक ग्राफ पर आलेखित किया गया है जिसे फेज़ संबंध आरेख ( phase relationship diagram ) कहा जाता है।

PHASE DIAGRAM OF SIMPLE HARMONIC MOTION
060303 PHASE DIAGRAM OF SIMPLE HARMONIC MOTION
  1. चित्र (A), समय के साथ विस्थापन का आरेख है।
  2. चित्र (B), समय के साथ वेग का आरेख है।
  3. चित्र (C), समय के साथ त्वरण का आरेख है।

Properties of Simple Harmonic Motion

सरल आवर्तीय गति के गुण

सरल आवर्तीय गति के गुणों को फेज़ संबंध आरेख ( phase relationship diagram ) से वर्णित किया जा सकता है।

ये गुण हैं –

  1. सरल आवर्तीय गति में विस्थापन ( displacement ), वेग ( velocity ) और त्वरण ( acceleration ) सभी समय के साथ आवर्तिय रूप से बदलते रहते हैं।
  2. अधिकतम वेग, अधिकतम विस्थापन या आयाम ( A ) का ( \omega ) के गुणा होता है।
  3. अधिकतम त्वरण, अधिकतम विस्थापन या आयाम ( A ) का ( \omega^2 ) के गुणा होता है।
  4. वेग वक्र का फेज़, विस्थापन वक्र के फेज से \left ( \frac {T}{4} \right ) या \left ( \frac {\pi}{2} \right ) रेडियंस आगे होता है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि जिस पल में विस्थापन अधिकतम मान प्राप्त करता है उस समय वेग ने अपना अधिकतम मान \left ( \frac {\pi}{2} \right ) रेडियंस पहले ही पूरा कर लिया होता है। इसलिए, विस्थापन वक्र के मुकाबले वेग वक्र \left ( \frac {\pi}{2} \right ) रेडियंस से आगे रहता है।
  5. इस प्रकार वेग वक्र और विस्थापन वक्र के बीच का फेज़ अंतर ( phase difference ) \left ( \frac {\pi}{2} \right ) का होता है।
  6. जब विस्थापन शून्य होता है तब वेग अधिकतम होता है और इसके विपरीत जब वेग शून्य होता है तब विस्थापन अधिकतम होता है।
  7. त्वरण वक्र का फेज़, विस्थापन वक्र के फेज़ से \left ( \frac {T}{2} \right ) या \left ( \pi \right ) रेडियन आगे होता है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि, जिस समय विस्थापन अधिकतम मान को प्राप्त करता है उस समय त्वरण ने अपना अधिकतम मान \left ( \pi \right ) रेडियंस पहले ही पूरा कर लिया होता है।
  8. इसलिए, विस्थापन वक्र के मुकाबले त्वरण वक्र \left ( \pi \right ) रेडियंस आगे रहता है। इस प्रकार त्वरण वक्र और विस्थापन वक्र के बीच का फेज़ अंतर \left ( \pi \right ) होता है।
  9. जब विस्थापन शून्य होता है तब त्वरण भी शून्य होता है।

इस विषय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न देखें –