Laws of Motion

What are Laws of Motion?

गति के नियम क्या हैं?

सर आइजैक न्यूटन (1642-1727) ने वस्तुओं की motion के बारे में एक व्यवस्थित अध्ययन किया और गति के तीन नियम बताए जिन्हें न्यूटन के गति के नियम ( Newton’s laws of motion ) कहा जाता है।

Newton’s First law of motion

गति का पहला नियम

न्यूटन का गति के पहले नियम (Newton’s laws of motion ) से ज्ञात होता है कि –

प्रत्येक वस्तु अपनी विराम की अवस्था ( state of rest ) या एक सीधी रेखा में स्थिर गति ( uniform motion ) की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उसे किसी बाहरी बल द्वारा उस अवस्था को बदलने के लिए बाध्य नहीं किया जाता है।

गति के इस नियम के तीन भाग हैं –

पहले नियम का पहला भाग –

( FIRST PART OF FIRST LAW )

  1. न्यूटन का पहले नियम के अनुसार, जो वस्तु विराम ( rest ) में है, वह विरामावस्था में ही बना रहेगा।
  2. कोई वस्तु, अपने आप अपने विराम की अवस्था नहीं बदल सकता। यह स्थिर वस्तुओं  की एक अनोखे विशेषता को बताता है जिसे विराम की जड़ता ( inertia of rest ) के नाम से परिभाषित किया जाता है।
  3. किसी वस्तु को विराम से स्थानांतरित करने के लिए हमेशा एक बाहरी बल ( force ) की आवश्यकता होती है।

पहले नियम का दूसरा भाग –

( SECOND PART OF FIRST LAW )

  1. न्यूटन का पहले नियम के अनुसार, जो वस्तु गति ( motion ) में है वह अपनी स्थिर गति से गतिमान रहेगा।
  2. एक गतिमान वस्तु अपनी गति को अपने आप नहीं बदल सकता। यह गतिमान वस्तु की एक अनोखे विशेषता को बताता है जिसे गति की जड़ता ( Inertia of motion ) के नाम से परिभाषित किया जाता है।
  3. गतिमान वस्तु की गति में परिवर्तन लाने के लिए हमेशा एक बाहरी बल ( force ) की आवश्यकता होती है।

पहले नियम का तीसरा भाग –

( THIRD PART OF FIRST LAW )

  1. न्यूटन का पहले नियम के अनुसार, अदि कोई वस्तु सीधे रास्ते में गति ( motion ) में है, तो वह उसी सीधे रास्ते में उसी दिशा में गतिमान रहेगा।
  2. एक गतिमान वस्तु, अपनी गति की दिशा को अपने आप नहीं बदल सकता। यह गतिमान वस्तु की एक अनोखे विशेषता को बताता है जिसे दिशा की जड़ता ( Inertia of direction ) के नाम से परिभाषित किया जाता है।
  3. किसी गतिमान वस्तु की गति की दिशा में परिवर्तन लाने के लिए हमेशा एक बाहरी बल ( force ) की आवश्यकता होती है।

इस प्रकार से हम पाते हैं कि न्यूटन का गति का पहला नियम एक बाहरी एजेंट की परिभाषा देता है जिसे बल ( force ) कहा जाता है।

Newton’s Second law of motion

गति का दूसरा नियम

न्यूटन का दूसरे नियम ( Newton’s laws of motion ) से ज्ञात होता है कि –

किसी वस्तु के रैखिक संवेग ( linear momentum ) में परिवर्तन की दर, लगाए गए बल के समानुपाती होता है और परिवर्तन उसी दिशा में होता है जिस दिशा में बल लगाया जाता है।

न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के दो भाग हैं –

दूसरे नियम का पहला भाग –

( FIRST PART OF SECOND LAW )

  1. न्यूटन के दूसरे नियम के अनुसार, किसी वस्तु के संवेग ( momentum ) में परिवर्तन की दर लगाए गए बाहरी बल का समानुपाती होता है।
  2. अतः इस नियम के आधार पर, बल ( force ) के माप ( magnitude ) के लिए एक अभिव्यक्ति ( expression ) प्राप्त किया जाता है।

दूसरे नियम का दूसरा भाग –

( SECOND PART OF SECOND LAW )

  1. न्यूटन के दूसरे नियम के अनुसार, किसी वस्तु के संवेग ( momentum ) में परिवर्तन की दिशा लगाए गए बल की दिशा की ओर होता है।
  2. अतः इस नियम के आधार पर, बल ( force ) की दिशा के लिए एक अभिव्यक्ति ( expression ) प्राप्त किया जाता है।

Newton’s Third law of motion

गति का तीसरा नियम

न्यूटन का गति के तीसरे नियम ( Newton’s laws of motion ) से पता चलता है कि –

किसी भी क्रिया ( every action ) के बराबर और विपरीत दिशा में एक प्रतिक्रिया ( equal and opposite reaction ) होती है।

न्यूटन के गति के तीसरे नियम को इस प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है –

  1. कोई बल हमेशा वस्तुओं के एक जोड़े में लगता है। एक जोड़े वस्तु, वस्तु ( A ) और वस्तु ( B ) पर विचार करें जो आपस में संस्पर्श में हैं। वस्तु ( A ) में वस्तु ( B ) के द्वारा लगाया गया बल, वस्तु ( B ) में वस्तु ( A ) के द्वारा लगाए गए बल के बराबर और विपरीत होता है।
  2. बलों की जोड़ी में, दोनों बल एक साथ विभिन्न वस्तुओं पर कार्य करते हैं। इनमें से पहले वस्तु पर लग रहे एक बल को क्रिया ( action ) तथा दूसरे वस्तु पर लग रहे दूसरे बल को प्रतिक्रिया ( reaction ) कहते हैं।
  3. चूँकि क्रिया और प्रतिक्रिया दोनों बल एक साथ दो अलग-अलग वस्तुओं पर लगते हैं, अतः वे कभी भी एक दूसरे को रद्द या संतुलित नहीं करेंगे।

Action & Reaction

क्रिया और प्रतिक्रिया

जब दो वस्तु संपर्क में होते हैं, तो प्रत्येक वस्तु, दूसरे वस्तु पर एक बल लगाता है। इनमें से एक बल को क्रिया ( action ) तथा दूसरे बल को प्रतिक्रिया ( reaction ) कहते हैं।

  1. क्रिया और प्रतिक्रिया बराबर मान के होते हैं और विपरीत दिशा में कार्य करते हैं।
  2. क्रिया और प्रतिक्रिया दोनों विभिन्न वस्तुओं पर एक साथ कार्य करते हैं।
  3. चिकने सतह वाले वस्तुओं में क्रिया और प्रतिक्रिया, संस्पर्शिय सतहों पर लंबवत ( normal ) दिशा में कार्य करते हैं।

Inertia by Newton’s Laws of Motion

गति के नियम के अनुसार जड़त्व

सभी भौतिक निकायों में एक अद्वितीय गुण पाया जाता है जिसके कारण वे अपनी विराम ( rest ) या गति ( motion ) की अवस्था में परिवर्तन स्वयं नहीं कर सकते हैं। भौतिक निकाय ( body ) की इस गुण को जड़त्व  ( inertia ) के रूप में जाना जाता है।

किसी वस्तु का जड़त्व उसके द्रव्यमान के कारण होती है। इसलिए इसे द्रव्यमान जड़ता ( mass inertia ) भी कहा जाता है। जड़त्व किसी भौतिक वस्तु का वह गुण है जो विराम या गति की अवस्था में किसी परिवर्तन का विरोध करता है।

अतः जड़त्व दो प्रकार का होता है –

  1. विराम का जड़ता ( inertia of rest )।
  2. गति का जड़ता ( inertia of motion )।

इनका विवरण इस प्रकार से हैं –

Inertia of Rest

विराम का जड़त्व

न्यूटन के गति के पहले नियम ( Newton’s laws of motion ) के अनुसार, यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है, तो वह तब तक विरामावस्था में ही रहेगा जब तक कि उसकी विराम अवस्था को बदलने के लिए कोई बाहरी बल नहीं लगाया जाता है।

उदाहरण –

मेज पर रखी हुई एक पुस्तक विरामावस्था में होती है। यह कभी भी अपने आप गति में नहीं आएगी। इसे अपने स्थान से स्थानांतरित करने के लिए हमेशा एक बाहरी बल की आवश्यकता होती है।

Inertia of Motion

गति का जड़त्व

यदि कोई वस्तु गति की स्थिति में है, तो वह निरंतर उसी दिशा में स्थिर गति के साथ गतिमान रहना चाहती है। उसकी गति के मापदंडों  ( parameters )को बदलने के लिए एक बाहरी बल लगाने की आवशयता पड़ती है।

उदाहरण –

एक गेंद को किसी टाइल वाले फर्श पर निश्चित वेग से लुढ़काया जाता है। यदि किसी बाहरी कारण का हस्तक्षेप न हो तो यह हमेशा के लिए उसी गति से और उसी दिशा में चलती रहेगी। लेकिन हम देखते हैं कि कुछ दूर जाने के बाद यह रुक जाता है।

ऐसा, फर्श के घर्षण, वायु का प्रतिरोध आदि की उपस्थिति के कारण होता है और अंततः गेंद रुक जाती है।

यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि केवल एक बाह्य कारण ही किसी निकाय की जड़त्वीय स्थिति को तोड़ सकती है। इस बाह्य कारण को ही बल ( force ) कहा जाता है।


Measurement of a Force from Newton’s Laws of Motion

गति के नियम से बल का मापन

न्यूटन के गति के पहले और दूसरे नियम से हम एक बल ( force ) को परिभाषित कर सकते हैं और उसके परिमाण का पता लगाने के लिए एक अभिव्यक्ति ( expression ) प्राप्त कर सकते हैं।

द्रव्यमान ( m ) के एक वस्तु पर विचार करें जो ( \vec {v} ) वेग के साथ गति में है। तब इसका रैखिक संवेग ( linear momentum ) होगा –

\text {रैखिक संवेग ( Linear Momentum )} = \text {द्रव्यमान ( mass )} \ \times \ \text {वेग ( velocity )}

अर्थात, \quad \vec p = m \vec v

समय के सापेक्ष में दोनों पक्षों को डिफरेंसिएट ( differentiate ) करने पर हमें प्राप्त होता है कि –

\left ( \frac {d \vec p}{dt} \right ) = \left ( \frac {d}{dt} \right ) \left ( m \vec {v} \right )

= m \left ( \frac {d \vec v}{dt} \right ) = m \vec {a}

यहाँ ( \vec {a} ) वस्तु में उत्पन्न ( acceleration ) है।

न्यूटन के गति के दूसरे नियम के अनुसार हमारे पाते हैं कि –

\text {लागू बल ( Applied force )} \ \propto \ \text {गति के परिवर्तन की दर ( Rate of change of momentum )}

या, \quad \vec F \propto \frac {d \vec p}{dt}

या, \quad F \propto m \vec a

अतः, \quad F = k \ ma

जहाँ ( k ) एक समानुपाती नियतांक है।

अब, ( m ), \ ( a ) \ \text {और} \ ( F ) कि इकाइयों का चयन इस प्रकार से करते हैं कि ( k = 1 ) होता है।

SI प्रणाली में –

m = 1 \ kg, \quad a = 1 \ ms^{-2} \quad \text {और} \quad F = 1 \ N

तब \quad k = \left ( \frac {F}{ma} \right ) = \frac {1 \ N}{1 \ \text {kg} \times 1 \ \text {m s}^{-2}}

या, \quad k = \frac {1 \ \text {kg m s}^{-2}}{1 \ \text {kg} \times 1 \ \text {m s}^{-2}} = 1

क्योंकि बल का निरपेक्ष इकाई ( absolute unit of force ) \left ( 1 \ N = 1 \ \text {kg m s}^{-2} \right ) होता है।

अतः, \quad \vec F = m \vec a

इस समीकरण से किसी वस्तु में लग रहे बल ( force ) के मान को प्राप्त किया जा सकता है।

इस प्रकार, एक इकाई बल को उस बल से परिभासित किया जाता है जो इकाई द्रब्यमान के वस्तु में लगकर इकाई त्वरण ( acceleration ) उत्पन्न करता है।


इस विषय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न देखें –