What is moment area method?
मोमेंट एरिया विधि क्या है?
लदे हुए बीम के ढलान ( slope )और विक्षेपण ( deflection ) को ज्ञात करने के लिए विभिन्न विधियाँ में से मोमेंट एरिया विधि ( moment area method ) सबसे सरल विधि है।
इस विधि में, बेन्डिंग मोमेंट आरेख ( bending moment diagram ) के मोर प्रमेय ( Mohr’s theorem ) का उपयोग किया जाता है। यह विधि, बीम के विक्षेपण और ढलान को ज्ञात करने का एक तेज समाधान देता है।
इन प्रमेयों को इस प्रकार से कहा गया है –
- मोर की प्रमेय – 1
- मोर की प्रमेय – 2
इनकी व्याख्या इस प्रकार से है –
Mohr’s theorem – 1
मोर प्रमेय -1
मोर प्रमेय -1 को इस प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है –
बीम के लोचदार वक्र ( elastic curve ) पर किन्हीं दो बिंदुओं के बीच ढलान में परिवर्तन, इन दो बिंदुओं के बीच के बेन्डिंग मोमेंट आरेख के क्षेत्र का, फ्लेक्सर रिजिडीटी ( EI ) से भाग के बराबर होता है।
PROOF –
एक लदे हुए बीम AB पर विचार करें, जिसका BM आरेख चित्र में दिखाया गया है। अब बीम के B सिरे से ( x ) की दूरी पर स्थित एक छोटी लम्बाई ( dx ) के एक PQ तत्व पर विचार करते हैं।
चित्र में AP'Q'B , deformed बीम का elastic curve है। P' और Q' बिंदुएं, elastic curve पर PQ के संगत बिंदु हैं।
मान लें कि, मुड़े हुए बीम की वक्रता त्रिज्या ( R ) है और वक्र चाप P'Q' , वक्र बिंदु O पर ( d \theta ) का कोण बनाता है।
अतः, वक्र चाप P'Q' की लम्बाई ( R \ d \theta ) होगी।
चूँकि, बीम की बेन्डिंग बहुत कम होती है, इसलिए ( P'Q' ) = ( PQ ) = ( dx ) होगा।
अतः \quad dx = ( R \ d \theta )
या, \quad d \theta = \left ( \frac {dx}{R} \right ) …….. (1)
पूर्व लेखों से, bending stress equation से हमें ज्ञात है कि –
\left ( \frac {M}{I} \right ) = \left ( \frac {E}{R} \right )
या, \quad R = \left ( \frac {EI}{M} \right )
इस मान को समीकरण (1) में रखने पर हम पाते हैं –
d \theta = \left ( \frac {dx}{R} \right )
= \left ( \frac {Mdx}{EI} \right )
= \left ( \frac {1}{EI} \right ) M dx ……. (2)
अर्थात, बीम के बिंदु A से लेकर B बिंदु तक के ढलान में कुल परिवर्तन को, सीमा (x = l) से (x = 0) के अंदर, इस समीकरण को इंटीग्रेट कर प्राप्त किया जाता है।
इसलिए, slope की अभिवयक्ति होगी –
i = \left ( \frac {1}{EI} \right ) \int\limits_{0}^{l} M dx
परन्तु, उत्पाद ( M dx ) , दिए गए BM आरेख में छायाकृत क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है।
अतः, ढलान \quad i = \left ( \frac {\text {A और B के बिच BM आरेख का क्षेत्रफल}}{EI} \right )
Mohr’s theorem – 2
मोर प्रमेय -2
मोर प्रमेय – 2 को इस प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है –
बीम के elastic curve पर के दो बिंदुओं से स्पर्शरेखाओँ का, एक ऊर्ध्वाधर संदर्भ रेखा पर लिया गया अंत: खंड ( intercepts ), BM आरेख के क्षेत्र का, उसी संदर्भ रेखा पर लिया गया आघूर्ण का, फ्लेक्सर रिजिडीटी ( EI ) से भाग के बराबर होता है।
PROOF –
चित्र में दिखाए गए लदे हुए बीम के BM आरेख पर विचार करें। मान लें कि P'J और Q'K क्रमशः P' और Q' बिंदुओं से दो स्पर्शरेखाएं हैं जो B बिंदु से खींची गई एक ऊर्ध्वाधर संदर्भ रेखा को J और K बिन्दुओं पर काटती हैं।
चित्र की ज्यामिति से स्पष्ट है कि, P' और Q' पर स्पर्शरेखाएं एक कोण ( d \theta ) पर मिलती हैं।
अत:, अंत: खंड की लंबाई होगी –
JK = x \ d \theta = x \left ( \frac {M dx}{E I} \right ) = \left ( \frac {M x dx}{EI} \right )
तब, कुल अंत: खंड की लंबाई को ज्ञात करने के लिए, इस समीकरण को सीमा (x = l) से (x = 0) के बिच इंटीग्रेट किया जाता है।
इसलिए, विक्षेपण ( deflection ) की अभिव्यक्ति होगी –
y = \left ( \frac {1}{EI} \right ) \int\limits_{0}^{l} M x dx
परन्तु उत्पाद ( M x dx ) , दिए गए BM आरेख के क्षेत्र के आघूर्ण का प्रतिनिधित्व करता है।
अतः \quad y = \left ( \frac {\text {A और B के बिच BM आरेख का क्षेत्र का आघूर्ण}}{EI} \right )
बीम के ढलान और विक्षेपण से सम्बंधित संख्यात्मक समस्याओं के हल के दौरान मोर प्रमेय के उपयोग की प्रक्रिया के बारे में हम विस्तार से जानेंगे।
इस विषय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न देखें –
Conjugate beam method
संयुग्म बीम विधि
एक संयुग्म बीम की परिभाषा, एक ऐसे काल्पनिक बीम से दी जाती है जिसकी लंबाई मूल बीम की लंबाई के बराबर परन्तु चौड़ाई मूल बीम की चौड़ाई के \left ( \frac {1}{EI} \right ) गुणा के बराबर होती है और वह मूल बीम के बेन्डिंग मोमेंट आरेख के सामान लोड से लदी होती है।
संयुग्म बीम की अवधारणा का उपयोग, मूल बीम के ढलान और विक्षेपण को अधिक सरल और सुविधाजनक तरीके से ज्ञात करने के लिए किया जाता है। यह विधि चर्चित moment area method का एक संशोधित रूप है। इसमें संशोधित मोर प्रमेय का उपयोग किया जाता है।
संशोधित मोर प्रमेय को इस प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है –
Mohr’s theorem – 1 (For conjugate beam)
मोर प्रमेय – 1 ( संयुग्म बीम के लिए )
संयुग्म बीम के किसी भी खंड पर अपरूपण बल ( shear force ), मूल बीम के संगत खंड ( corresponding section ) पर लोचदार वक्र ( elastic curve ) के ढलान ( slope ) के बराबर होता है।
Mohr’s theorem – 2 (For conjugate beam)
मोर प्रमेय – 2 ( संयुग्म बीम के लिए )
संयुग्म बीम के किसी भी खंड पर बेन्डिंग मोमेंट ( bending moment ), मूल बीम के संगत खंड ( corresponding section ) पर लोचदार वक्र ( elastic curve ) के विक्षेपण ( deflection ) के बराबर होता है।
बीम के ढलान और विक्षेपण से सम्बंधित संख्यात्मक समस्याओं के हल के दौरान, संयुग्म बीम के लिए मोर प्रमेय के उपयोग की प्रक्रिया के बारे में हम विस्तार से जानेंगे।
Features of conjugate beam
संयुग्म बीम की विशेषताएं
मूल बीम की तुलना में, एक संयुग्म बीम की विशेषताएं इस प्रकार हैं –
क्रम संख्या | मूल बीम ( Actual beam ) | संयुग्म बीम ( Conjugate beam ) | मंतव्य ( Remarks ) |
1 | स्थिर सिरा ( Fixed end ) | मुक्त सिरा ( Free end ) | मूल बीम के स्थिर सिरे ( fixed end ) पर ढलान और विक्षेपण शून्य होता है। संयुग्म बीम के मुक्त सिरे पर SF \ \text {और} \ BM शून्य होता है। |
2 | मुक्त सिरा ( Free end ) | स्थिर सिरा ( Fixed end ) | मूल बीम के मुक्त सिरे ( free end ) पर ढलान और विक्षेपण शून्य होता है। संयुग्म बीम के स्थिर सिरे पर SF \ \text {और} \ BM शून्य होता है। |
3 | सिम्पली सपोर्टेड या रोलर सपोर्टेड सिरा ( Simply supported or roller supported end ) | सिम्पली सपोर्टेड सिरा ( Simply supported end ) | मूल बीम के मुक्त सिरे ( free end ) पर ढलान होता है परन्तु विक्षेपण शून्य होता है। संयुग्म बीम के सिम्पली सपोर्टेड सिरे पर SF होता है परन्तु BM शून्य होता है। |
इस विषय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न देखें –