What is Bernoulli’s Theorem?
बर्नौली का प्रमेय क्या है?
बर्नौली का प्रमेय ( Bernoilli’s theorem ) में कहा गया है कि –
“एक निरंतर प्रवाह में बहते हुए एक आदर्श और असंकुचनीय तरल कण की कुल ऊर्जा सर्वदा समान रहती है।”
- बर्नौली का प्रमेय ( Bernoulli’s theorem ) एक बहते हुए तरल पदार्थ की ऊर्जा से जुड़ा है।
- बर्नौली का प्रमेय ( Bernoulli’s theorem ) का कथन इस धारणा पर आधारित है कि, पाइप में प्रवाहित तरल के घर्षण के कारण कोई ऊर्जा हानि नहीं होती है।
अतः बर्नौली का प्रमेय के कथन के अनुसार –
अतः \quad \left (Z + \frac {p}{w} + \frac {v^2}{2 g} \right) = \text {Constant}
या, \quad \text {तरल की कुल ऊर्जा} = \text {स्थितिज ऊर्जा} \ ( Z ) + \text {दबाव ऊर्जा} \left ( \frac {p}{w} \right ) + \text {गतिज ऊर्जा} \left ( \frac {v^2}{2 g} \right ) = \text {Constant} .
Energy of a fluid in Bernoulli’s Theorem
बर्नौली का प्रमेय में तरल प्रदार्थ कि ऊर्जा
किसी तरल प्रदार्थ कि ऊर्जा को उसके कार्य करने की क्षमता के आधार पर परिभाषित किया जाता है।
एक तरल प्रदार्थ में विभिन्न प्रकार की ऊर्जाएँ हो सकती हैं जिनमें से निम्न प्रकार की ऊर्जाएँ सबसे महत्वपूर्ण हैं –
- स्थितिज ऊर्जा ( Potential energy )
- दबाव ऊर्जा ( Pressure energy )
- गतिज ऊर्जा ( Kinetic energy )
इनका विवरण इस प्रकार से है –
Potential energy
स्थितिज ऊर्जा
स्थितिज ऊर्जा ( Potential energy ) किसी तरल पदार्थ में उसकी अपनी स्थिति या स्थान के आधार पर निहित ऊर्जा होता है।
( W ) किलोग्राम ( kg ) के एक तरल निकाय पर विचार करें जो किसी आधार-रेखा ( datum line ) से ऊपर ( Z ) मीटर की ऊंचाई पर रखा है।
उस तरल निकाय की स्थितिज ऊर्जा ( W Z ) \ \text {kg-m} के बराबर होगी।
इस प्रकार, प्रति किο ग्राο तरल निकाय की स्थितिज ऊर्जा होगी –
\left ( \frac {W Z}{W} \right ) \left ( \frac {\text {kg-m}}{\text {kg}} \right ) = Z \ \text {mtr.}
अतः हम कह सकते हैं कि, तरल निकाय की स्थितिज ऊर्जा स्तर ( Z ) \ \text {mtr.} है।
Pressure energy
दबाव ऊर्जा
यह ऊर्जा किसी तरल पदार्थ में उसके निहित दबाव के फलस्वरूप उत्पन्न होती है।
विचार करें कि ( W ) किलोग्राम ( kg ) का एक तरल निकाय को ( p ) \ \text {kg-m}^{-2} के दबाव में रखा गया है। इस स्थिती में तरल पदार्थ की दबाव ऊर्जा होगी –
W \left ( \frac {p}{w} \right ) \ \text {kg} \left ( \frac {\text {kg-m}^{-2}}{\text {kg-m}^{-3}} \right ) = W \left ( \frac {p}{w} \right ) \ \text {kg-m}
यहाँ ( w ) तरल पदार्थ का विशिष्ट भार ( specific weight ) है, जिसकी इकाई \text {kg-m}^{-3} में होती है।
इसलिए प्रति किलो ग्राम तरल पदार्थ का दबाव स्तर \left ( \frac {p}{w} \right ) \ \text {mtr.} होगा।
अतः हम कह सकते हैं कि, तरल निकाय की दबाव ऊर्जा स्तर \left ( \frac {p}{w} \right ) \ \text {mtr.} है।
Kinetic energy
गतिज ऊर्जा
गतिज ऊर्जा ( Kinetic energy ) किसी तरल पदार्थ में उसके अपनी गति के कारण उत्पन्न ऊर्जा होती है।
विचार करें कि ( W ) किο ग्राο का एक तरल निकाय का वेग ( velocity ) ( v ) \text {m-s}^{-1} है।
इस अवस्था में तरल पदार्थ की गतिज ऊर्जा होगी –
W \left ( \frac {v^2}{2 g} \right ) \ \text {kg-m}
इसलिए, प्रति किलो तरल पदार्थ में गतिज ऊर्जा होगी –
\left ( \frac {v^2}{2 g} \right ) \ \text {mtr.}
अतः हम कह सकते हैं कि, तरल निकाय का दबाव शीर्ष ( pressure head ) स्तर \left ( \frac {v^2}{2 g} \right ) \ \text {mtr.} है।
Total energy
कुल ऊर्जा
यदि ( W ) \ \text {kg} का एक तरल निकाय आधार-रेखा ( datum line ) के ऊपर ( Z ) \ \text {m} की ऊंचाई पर है, और तरल में दबाव की तीब्रता ( p ) \ \text {kg-m}^{-2} तथा वेग ( v ) \ \text {m-s}^{-1} के साथ गतिमान है, तो तरल निकाय की कुल ऊर्जा होगी –
W \left ( Z + \frac {p}{w} + \frac {v^2}{2 g} \right ) \ \text {kg-m}
इसलिए, प्रति किο ग्राο तरल पदार्थ में कुल ऊर्जा होगी –
\left ( Z + \frac {p}{w} + \frac {v^2}{2 g} \right ) \ \text {mtr.}
या, हम कह सकते हैं कि कुल ऊर्जा स्तर है –
\left ( Z + \frac {p}{w} + \frac {v^2}{2 g} \right ) \ \text {mtr.}
उसे कुल ऊर्जा हेड ( Total energy head ) कहते हैं।
Equation of continuity from Bernoulli’s Theorem
बर्नौली का प्रमेय से निरंतरता का समीकरण
जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, एक आदर्श ( ideal ) और असंकुचनीय ( in-compressible ) तरल पर विचार करें, जो एक असमान पाइप से बहती है।
हम पाइप के दो खंड AA \text {और} BB पर विचार करते हैं। मान लेते हैं कि, पाइप पूरी तरह भरा हुआ है और दोनों खंडो के बीच प्रवाह की निरंतरता ( continuity ) बिद्यमान है। मान लें –
- ( Z_1 ) आधार-रेखा ( datum line ) से खंड AA कि औसतन ऊंचाई है।
- ( p_1 ) , खंड AA में तरल का वास्तविक दबाव।
- ( v_1 ) , खंड AA में तरल का प्रवाह वेग ( velocity )।
- ( a_1 ) , खंड AA में पाइप का औसतन छेत्रफल है।
और Z_2, \ p_2, \ v_2, \ a_2 खंड BB में अनुरूप मान हैं।
मान लें कि, खंड AA \ \text {और} \ BB के बीच का तरल प्रदार्थ बहुत ही छोटी सी दुरी तय करके A'A' \ \text {और} \ B'B' में पहुँचता है।
माना कि खंड AA \ \text {और} \ A'A' के बीच पाइप की लम्बाई ( dl_1 ) है और खंड BB \ \text {और} \ B'B' के बीच पाइप की लम्बाई ( dl_2 ) है।
खंड AA \ \text {और} \ BB के बिच तरल पदार्थ का गमन, खंड AA \ \text {से} \ A'A' और खंड BB \ \text {से} \ B'B' के बीच के तरल कणों में गति के समतुल्य है। बाकि खंड A'A' \ \text {से} \ BB के बीच का तरल पदार्थ अप्रभावित माना जा सकता है।
मान लें कि अंश AA \ \text {और} \ A'A' के बीच के तरल का वजन ( W ) है। चूंकि प्रवाह निरंतर है, इसलिए –
W = w a_1 \ dl_1 = w a_2 \ dl_2
या, \quad a_1 \ dl_1 = \frac {W}{w} \quad \text {और} \quad a_2 \ dl_2 = \frac {W}{w}
अतः \quad a_1 \ dl_1 = a_2 \ dl_2
अंश AA \ \text {से लेकर अंश} \ A'A' तक तरल को स्थानांतरित करने में दबाव ( p_1 ) के द्वारा किया गया कार्य है –
\text {बल} \times \text {दूरी} = (p_1 \ a_1) \times dl_1
इसी तरह, BB \ \text {से लेकर अंश} \ B'B' तक तरल को स्थानांतरित करने में दबाव ( p_2 ) के द्वारा किया गया कार्य है –
\text {बल} \times \text {दूरी} = - (p_2 \ a_2) dl_2
चुकीं ( p_2 ) की दिशा (p_1) के विपरीत होता है, इसलिए ऋणात्मक चिन्ह का उपयोग होता है। दबाव द्वारा किया जाने वाला कुल कार्य होगा –
(p_1 \ a_1) dl_1 - (p_2 \ a_2) dl_2
या, \quad p_1 \ a_1 \ dl_1 - p_2 \ a_2 \ dl_2
(a_2 \ dl_2) \text {के स्थान पर} (a_1 \ dl_1) को प्रतिस्थापित करके हम प्राप्त करते हैं –
दबाव द्वारा किया जाने वाला कार्य है –
p_1 \ a_1 \ dl_1 - p_2 \ a_1 \ dl_1 = a_1 \ dl_1 (p_1 - p_2)
= \frac {W} {w} (p_1 - p_2)
AA \ \text {से} \ BB तक तरल को स्थानांतरित करने में स्थितिज ऊर्जा का क्षय ( loss ) होता है –
W (Z_1 - Z_2)
और तरल को स्थानांतरित करने में गतिज ऊर्जा में वृद्धि –
W \left ( \frac {v_2^2}{2g} - \frac {v_1^2}{2g} \right ) = \frac {W}{2g} \left ( v_2^2 - v_1^2 \right )
ऊर्जा के संरक्षण सिद्धांत ( conservation of energy ) से हम जानते हैं कि –
\text {स्थितिज ऊर्जा का क्षय} + \text {दबाव द्वारा किया गया कार्य} = \text {गतिज ऊर्जा में वृद्धि}
इसलिए, \quad W ( Z_1 - Z_2 ) + \frac {W}{w} (p_1 - p_2) = \frac {W}{2g} \left ( v_2^2 - v_1^2 \right )
या, \quad ( Z_1 - Z_2 ) + \frac {p_1}{w} - \frac {p_2}{w} = \frac {v_2^2}{2g} - \frac {v_1^2}{2g}
या, \quad Z_1 + \frac {p_1}{w} + \frac {v_1^2}{2g} = Z_2 + \frac {p_2}{w} + \frac {v2^2} {2g}
इस अभिव्यक्ति को बर्नौली का समीकरण ( Bernoulli’s equation ) के रूप में जाना जाता है।