What is called a Compound Pendulum?
यौगिक लोलक क्या होता है?
एक यौगिक लोलक ( compound pendulum ), एक कठोर वस्तु ( rigid body ) होता है जो अपने से गुजरने वाली एक चिकनी क्षैतिज धुरी में दोलन करने के लिए स्वतंत्र होता है।
चित्र में दिखाए गए एक कठोर वस्तु पर विचार करें। वस्तु को बिंदु ( O ) पर बिंध कर लटका दिया जाता है, ताकि इस बिंदु से गुजरने वाले एक क्षैतिज अक्ष ( horizontal axis ) पर यह स्वतंत्र रूप से दोलन कर सके। बिंदु ( O ) को निलंबन केंद्र ( centre of suspension ) कहा जाता है। मान ले कि वस्तु का गुरुत्व केंद्र ( centre of gravity ) ( G ) है।
मान लें, ( OG = h ) और ( \angle {AOG} = \theta ) है।
बिंदु ( O ) पर वस्तु के भार का आघूर्ण होगा –
M = W × OG \sin \theta = W h \sin \theta = W h \theta ( क्योंकि ( \theta ) बहुत छोटा होता हैं। )
टॉर्क ( torque ) की परिभाषा से –
\text {बल आघूर्ण या टॉर्क} = \text {जड़त्व आघूर्ण} \times \text {कोणीय त्वरण}
अतः \quad M = \left ( \frac {W}{g} \right ) {k_0}^2 \times \left ( \frac {d^2 \theta}{dt^2} \right )
यहाँ ( k_0 ) वस्तु के ( O ) बिंदु पर परिभ्रमण की त्रिज्या ( radius of gyration ) है।
अतः \quad \left ( \frac {W}{g} \right ) {k_0}^2 \times \left ( \frac {d^2 \ \theta}{dt^2} \right ) = - W h \theta
या, \quad \left ( \frac {d^2 \ \theta}{dt^2} \right ) = - \left ( \frac {g h}{k_0^2} \right ) \theta
या, \quad \alpha = - \left ( \frac {g h}{k_0^2} \right ) \theta
परन्तु एक यौगिक लोलक के लिए ( g ), \ ( h ) \ \text {और} \ ( k ) नियतांक हैं।
अतः \quad \alpha \propto \theta
इसलिए, वस्तु का कोणीय त्वरण, कोणीय विस्थापन के समानुपाती होता है। इसलिए, वस्तु की गति एक सरल आवर्तीय गति ( simple harmonic motion ) है।
Time Period of Compound Pendulum
यौगिक लोलक का आवर्त काल
एक सरल आवर्तीय गति का आवर्त काल होता है –
T = 2 \pi \sqrt {\left ( \frac {\text {विस्थापन}}{\text {त्वरण}} \right )}
यौगिक लोलक के लिए, कोणीय त्वरण ( angular acceleration ) होता है –
\alpha = \left ( \frac {g h}{k_0^2} \right ) \theta
अतः यौगिक लोलक के दोलन का आवर्त काल होगा –
T = 2 \pi \sqrt {\left ( \frac {k_0^2}{gh} \right )} ……. (1)
एक सरल लोलक, जिसका आवर्त काल एक यौगिक लोलक के समान होता है, उसे सरल समतुल्य लोलक ( simple equivalent pendulum ) कहते हैं।
मान लें कि, सरल समतुल्य लोलक की लंबाई ( l ) है, तो इसके दोलन की अवधि होगी –
T = 2 \pi \sqrt {\left ( \frac {l}{g} \right )} ……. (2)
अतः समीकरण (1) और (2) को बराबर करने पर हम पाते हैं कि –
2 \pi \sqrt {\left ( \frac {k_0^2}{gh} \right )} = 2 \pi \sqrt {\left ( \frac {l}{g} \right )}
अतः \quad l = \left ( \frac {k_0^2}{h} \right )
यदि, गुरुत्व केंद्र ( centre of gravity ) ( G ) से गुजरने वाले एक सामानांतर अक्ष पर परिभ्रमण की त्रिज्या ( radius of gyration ) ( k ) है तो –
k_0^2 = k^2 + h^2
इसलिए, \quad l = \left ( \frac {k^2 + h^2}{h} \right )
= h + \left ( \frac {k^2}{h} \right )
Centre of Oscillation / Percussion
दोलन केंद्र
एक बिंदु ( C ) को रेखा ( OG ) के बढे हुए हिस्से में इसप्रकार लिया जाता है जिससे कि ( OC = l )
तब, बिंदु ( C ) को दोलन केंद्र ( centre of oscillation ) या परकसन ( percussion ) कहा जाता है।
अतः \quad OC = h + \frac {k_G^2}{h}
परन्तु, \quad k_0^2 = k^2 + h^2
इसलिए, \quad k^2 = k_0^2 - h^2 = l h - h^2 = h ( l - h )
= OG ( OC - OG ) = OG \times GC
इस प्रकार, समरूप परिणाम से पता चलता है कि यदि वस्तु को ( C ) बिंदु से समानांतर अक्ष पर लटकाने से ( O ) बिंदु उसका दोलन केंद्र बन जाएगा। अर्थात, दोलन केंद्र ( C ) और निलंबन केंद्र ( O ) आपस में परिवर्तनशील ( inter-changeable ) होते हैं।
Conical Pendulum
शंकुकार लोलक
एक डोरी ( AO ) का एक सिरा एक सहारे ( O ) से जुड़ा होता है और दूसरे सिरे पर एक भार ( W ) बंधा होता है। यदि भार को एक क्षैतिज वृत्त की परिधि में घुमाया जाय ताकि डोरी एक समकोणीय शंकु ( right circular cone ) का निर्माण करे, जिसका अक्ष ( O ) बिंदी से ऊर्ध्वाधर हो तो ऐसे प्रबंध को शंकुकार लोलक ( conical pendulum ) कहा जाता है।
दिए गए चित्र पर विचार करें। मान लें कि –
- भार के द्वारा तय किये जाने वाले क्षैतिज वृत्त का केंद्र ( N ) है और वृत्त की त्रिज्या ( r ) है।
- भार की गति का कोणीय वेग ( \omega ) है।
- डोरी में तनाव ( T ) है।
- डोरी की लम्बाई ( l ) हो और कोण ( \angle {AON} = \theta ) है।
तब, \quad r = l \sin \theta
डोरी के तनाव को विघटित करने पर हम पाते है कि –
- ऊर्ध्वाधर घटक होगा \quad T \cos \theta = W ….. (1)
- क्षैतिज घटक होगा \quad T \sin \theta = F_C …… (2)
तनाव का क्षैतिज घटक, भार पर अभिकेंद्रीय बल ( centripetal force ) ( F_C ) प्रदान करता है जो इसे वृत्त में चलते रहने के लिए आवश्यक होता है।
अभिकेंद्रीय बल कि परिभाषा से –
F_C = \left ( \frac {W}{g} \right ) \omega^2 r
अतः \quad T \sin \theta = \left ( \frac {W}{g} \right ) \omega^2 r = \left ( \frac {W}{g} \right ) \omega^2 l \sin \theta
या, \quad T = \left ( \frac {W}{g} \right ) \omega^2 l ……. (3)
अब, समीकरण (1) को (3) से भाग देने पर हम पाते हैं कि –
\cos \theta = \left ( \frac {g}{\omega^2 l} \right )
यदि ( \theta < 1 ) तब ( \theta ) का मान वास्तविक होगा।
इसका मतलब यह हुआ कि –
\left ( \frac {g}{\omega^2 l} \right ) < 1
अतः \quad \omega^2 l > g
या, \quad \omega > \sqrt {\left (\frac {g}{l} \right )}
यह अभिव्यक्ति, एक शंकुकार लोलक के लिए आवश्यक न्यूनतम कोणीय वेग कि शर्त को बताता है। यह व्यक्त करता है –
भार के कोणीय वेग का न्यूनतम मान \left [ \sqrt {\left ( \frac {g}{l} \right )} \right ] होना चाहिए ताकि वह एक शंकुकार लोलक में घूम सके। यदि कोणीय वेग का मान इससे कम हो जाता है, तो डोरी ऊर्ध्वाधर रूप से लटकेगी।
Use of Conical Pendulum
शंकुकार लोलक की उपयोगिता
चित्र कि ज्यामिति से हमें पता चलता है कि –
ON = l \cos \theta = l \left ( \frac {g}{\omega^2 l} \right )
= l \times \left ( \frac {g}{\omega^2 l} \right ) = \left ( \frac {g}{\omega^2} \right )
अतः \quad ON \propto \left ( \frac {1}{\omega^2} \right )
इसलिए, बिंदु ( O ) के नींचे भार की गहराई, कोणीय वेग ( \omega ) के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती ( inversely proportional ) होती है और डोरी की लंबाई ( l ) से स्वतंत्र होती है। इसलिए इसका उपयोग ग्रहों की गति का विश्लेषण करने के लिए एक मॉडल के रूप में किया जाता है।
Oscillations of a liquid column
किसी द्रव स्तंभ का दोलन
जब एक ( U ) ट्यूब में रखे तरल स्तंभ की सतह को थोड़ा सा विस्थापित कर छोड़ दिया जाता है तो तरल स्तंभ सरल आवर्तीय गति के साथ दोलन करता है।
दिए गए चित्र में एक U नली पर विचार करें।
- नली का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्र ( A ) है।
- नली में द्रव का घनत्व ( \rho ) है।
नली की दोनों भुजाओ में द्रव पदार्थ की ऊंचाई ( h ) है।
नली में तरल स्तंभ का द्रव्यमान होगा –
m = A \times 2 h \times \rho
अब मान लें कि नली के एक भुजा में तरल सतह को कुछ दूरी ( y ) तक दबाया जाता है। इससे दूसरी भुजा में द्रव का सतह समान मात्रा में चढ़ जायेगा। इसलिए, दोनों भुजाओं में तरल स्तंभ की ऊंचाई में कुल अंतर ( 2y ) का होगा।
तब, तरल स्तम्भ पर कार्य करने वाला प्रत्यावर्तन बल ( Restoring force ) होगा –
F = असंतुलित तरल का कुल भार।
= - A \times 2y \times \rho \times g = - 2 A \rho g y
= - \left ( 2 A \rho g \right ) y
परन्तु, ( A ), \ ( \rho ) \ \text {और} \ ( g ) नियतांक हैं।
अतः \quad F \propto y
द्रव स्तंभ पर लगने वाला बल विस्थापन के समानुपाती होता है और उसके विपरीत दिशा में कार्य करता है। इसलिए नली में तरल एक सरल आवर्तीय ( simple harmonic motion ) गति करता है।
Force Constant of Liquid Column
द्रव स्तम्भ के दोलन का बल नियतांक
सरल आवर्तीय गति में प्रत्यावर्तन बल ( restoring force ) इस प्रकार होता है –
F = - k y
द्रव स्तम्भ की गति में प्रत्यावर्तन बल ( restoring force ) इस प्रकार होता है –
F = - \left ( 2 A \rho g \right ) y
दोनों समीकरणों की तुलना करने पर, द्रव स्तम्भ का बल नियतांक ( force constant ) होगा –
k = \left ( 2 A \rho g \right )
Time Period of Liquid Column
द्रव स्तम्भ का आवर्त काल
इसलिए, दोलन का आवर्त काल होगा –
T = 2 \pi \sqrt { \frac { m }{ k }}
या, \quad T = 2 \pi \sqrt { \frac { A \times 2 h \times \rho }{ 2 A \rho g }}
= 2 \pi \sqrt { \frac { h }{ g }}
मान लें कि तरल स्तम्भ कि कुल लम्बाई ( l ) है। तब –
l = 2 h
इसलिए \quad T = 2 \pi \sqrt { \left ( \frac { l }{ 2 g } \right ) }