What is called Simple Harmonic Motion?
सरल आवर्तीय गति किसे कहते हैं?
सरल आवर्तीय गति ( simple harmonic motion ) एक प्रकार की आवधिक दोलन गति है जिसमें एक कण प्रत्यावर्तन बल ( restoring force ) के प्रभाव से एक माध्य स्थिति के दोनों ओर आने-जाने वाली गति ( to and fro motion ) करता है और यह प्रत्यावर्तन बल, माध्य स्थिति से कण के विस्थापन के समानुपातिक होता है और हमेशा माध्य स्थिति की ओर निर्देशित होता है।
एक सरल आवर्तीय गति ( simple harmonic motion ) में निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए –
- यह आने-जाने वाली कंपन गति की तरह होना चाहिए।
- प्रत्यावर्तन बल ( Restoring force ), माध्य स्थिति से कण के विस्थापन ( displacement ) के समानुपाती होना चाहिए।
- प्रत्यावर्तन बल को हमेशा विस्थापन की दिशा के विपरीत दिशा में कार्य करना चाहिए।
General conditions of simple harmonic motion
सरल आवर्तीय गति की सामान्य शर्तें
सरल आवर्तीय गति, एक दोलन गति होती है। दोलन गति की सामान्य शर्तें इस प्रकार हैं –
F = - k x ^ n
यहाँ ( x ) कण के गति के माध्य स्थिति ( mean position ) से विस्थापन है और ( n ) कोई एक विषम संख्या ( odd number ) 1, 3, 5, ......... आदि है।
इस तरह से दोलन गति का सरलतम रूप एक सरल आवर्तीय गति ( simple harmonic motion ) होता है जिसके लिए ( n = 1 ) होता हैं।
अतः सरल आवर्तीय गति के लिए –
F = - k x^{1} = - k x
इस समीकरण में निम्न बातों पर गौर करें –
- ऋणात्मक ( – ) चिन्ह यह दर्शाता है कि प्रत्यावर्तन बल हमेशा विस्थापन की दिशा के विपरीत दिशा में कार्य करता है।
- नियतांक ( k ) घनात्मक होता है। इसे बल नियतांक ( force constant ) या स्प्रिंग नियतांक ( spring constant ) या स्प्रिंग फैक्टर ( spring factor ) भी कहा जाता है।
अतः \quad \text {सरल आवर्तीय गति में प्रत्यावर्तन बल} \ \propto \ \text {कण का विस्थापन}
यदि ( m ) कण का द्रब्यमान ( mass ) है और ( a ) उसका रेखीय त्वरण ( acceleration ) है, तब न्यूटन के गति के नियम ( Newton’s second law of motion ) से हम पाते हैं कि –
F = m a
अतः \quad m a = - k x
या, \quad a = - x \left ( \frac { k }{ m } \right )
परन्तु, किसी दोलन तंत्र के लिए द्रब्यमान ( m ) और नियतांक ( k ) स्थिर ( constant ) होते हैं।
अतः \quad a \propto x
इस प्रकार किसी सरल आवर्तीय गति को निम्न प्रकार से भी परिभाषित किया जा सकता है –
यदि कोई कण, एक माध्य बिंदु ( mean point ) के दोनों तरफ ,एक त्वरण के साथ आने-जाने ( to and fro ) वाली गति में है जो माध्य बिंदु से कण के विस्थापन की दूरि के समानुपातिक होता है और हमेशा माध्य बिंदु की ओर निर्देशित होता है तो उस कण कि गति को एक सरल आवर्तीय गति कहा जाता है।
उदाहरण –
- लदे हुए स्प्रिंग का दोलन।
- ट्यूनिंग फॉर्क का कंपन।
- स्थिर चुंबकीय क्षेत्र ( uniform magnetic field ) में स्वतंत्र रूप से लटका हुआ चुंबक का दोलन।
Oscillatory motion
दोलन गति
जब कोई कण अपनी माध्य स्थिति ( mean position ) के दोनों ओर लगातार आना-जाना करती है तो उसकी गति को दोलन गति ( oscillatory motion ) या कंपन गति ( vibratory motion ) या आवर्तीय गति ( harmonic motion ) कहा जाता है।
एक दोलन गति की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं –
- दोलन गति, एक माध्य स्थिति पर अर्थात ( x = 0 ) के दोनों ओर बार-बार दोहराती है।
- दोलन की गति चरम स्थितियों अर्थात ( x = \pm A ) के बीच में सीमित रहती है।
- दोलन करते हुए कण पर सर्वदा एक बल ( F ) कार्य करता है जो कण को उसकी माध्य स्थिति में लाने का प्रयास करता है। इस बल को प्रत्यावर्तन बल ( restoring force ) कहते हैं।
यदि, कण के विस्थापन ( displacement ) की गणना उसकी माध्य स्थिति की जाए तब –
F = - k x ^ n
यहाँ ( x ) कण के माध्य स्थिति ( mean position ) से विस्थापन है और ( n ) का मान कोई विषम संख्या ( odd number ) 1, 3, 5, ......... अदि है।
उदाहरण –
- दिवार घड़ी के लोलक ( pendulum ) की झूलती हुई गति।
- ऑटोमोबाइल इंजन के पिस्टन की गति।
- गिटार के तार का कंपन।
- एक कुंडल स्प्रिंग से लटके एक द्रव्यमान का दोलन ( Oscillations )।
दोलन गति, दो प्रकार की होती है –
- आवधिक गति ( periodic motion ) – जो समय के नियमित अंतराल पर दोहराती है।
- गैर-आवधिक गति ( non-periodic motion ) – जो समय के अनियमित अंतराल पर दोहराई जाती है।
Periodic motion
आवधिक गति
ऐसी गति जो नियमित अंतराल पर बार-बार दोहराई जाती हो तो उसे आवधिक ( periodic ) या आवर्तीय ( harmonic ) गति कहते हैं।
सभी प्रकार की दोलन गतियां ( oscillations ) प्रकृति में आवधिक गति ( periodic motion ) होती हैं, परन्तु माध्यम के कणों द्वारा उत्पन्न अवमंदन बलों ( damping forces ) की उपस्थिति के कारण, समय बीतने के साथ, दोलन का आयाम ( amplitude ) कम होता जाता है और अंत में समाप्त हो जाता है। इस प्रकार यह एक गैर-आवधिक गति बन जाती है।
आवधिक गति निम्न प्रकार की हो सकती है –
- एक सीधी रेखा में आने-जाने ( to and fro ) वाली अर्थात थरथराने वाला ( vibratory ) गति।
- एक स्थिर वृत्तीय ( uniform circular ) गति।
- एक स्थिर अण्डाकार ( uniform elliptical ) गति।
उदाहरण –
- सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति।
- पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति।
- घड़ी के काँटों की गति।
- इंसान के दिल की धड़कन।
गौर करें –
एक दोलन गति, आवधिक गति होती है क्योंकि वह निश्चित समय के बाद, बार बार दोहराई जाती है। परन्तु सभी आवधिक गतियाँ भी दोलन गति हों, यह आवश्यक नहीं है।
कारण – दोलन गति, सीधी रेखा में आने-जाने ( to and fro ) वाली या थरथराने ( vibratory ) वाली गति होती है, परन्तु एक आवधिक गति सीधी रेखा में आने-जाने ( to and fro ) वाली गति या एक वृत्तीय गति कुछ भी हो सकती है। अतः वृत्तीय गति, एक आवधिक गति है परन्तु यह एक दोलन गति नहीं है।
Uniform Circular Motion is Simple Harmonic Motion
स्थिर वृत्तिय गति एक सरल आवर्तीय गति होती है
जब कोई कण एक स्थिर वृत्तीय गति करता है तब एक निश्चित व्यास पर उस कण के प्रक्षेपण का पद एक सरल आवर्तीय गति करता है।
दिए गए चित्र पर गौर करें। एक कण ( A ) त्रिज्या के एक वृत्त पथ पर, स्थिर कोणीय वेग ( angular velocity ) ( \omega ) से वामावर्त ( anti-clockwise ) दिशा में घूम रहा है।
जब बिंदु या कण ( P ) , वृत्त की परिधि पर घूमता है तो वृत्त के एक निश्चित व्यास ( XX' ) पर इस बिंदु का प्रक्षेपण ( projection ) ( P' ), आने-जाने वाला गति करता है।
प्रमाण –
कण ( P ) पर एक अभिकेंद्रीय त्वरण ( centripetal acceleration ) ( a _{ c } ) कार्य करेगा जो त्रिज्या के साथ केंद्र O की ओर लगता है और कण को वृत्ताकार पथ में गतिमान रखता है।
इस अभिकेंद्रीय त्वरण का मान होगा –
a _ { c } = \omega ^2 A
मान लें कि, PQ इस अभिकेंद्रीय त्वरण ( a _ { c } ) का प्रतिनिधित्व करता है।
- व्यास XX' पर दो लम्ब PP' और QQ' को खिंचा जाता है।
- तब P'Q', व्यास XX' पर अभिकेंद्रीय त्वरण ( a _ { c } ) का प्रक्षेपण ( projection ) होगा।
चित्र कि ज्यामिति से हम पाते हैं कि –
- OP' = OP \cos ( \omega t + \phi _ { 0 } )
- OQ' = OQ \cos ( \omega t + \phi _ { 0 } )
इसलिए, P' के तत्कालिक त्वरण ( instantaneous acceleration ) ( a _ { t } ) का, सीधी रेखा XX' पर प्रक्षेपण होगा।
अतः \quad ( a _ { t } ) = P'Q' = ( OP' - OQ' )
= [ OP \cos ( \omega t + \phi _ { 0 } ) - OQ \cos ( \omega t + \phi _ { 0 } ) ]
= [ ( O P - O Q ) \cos ( \omega t + \phi _ { 0 } ) ]
= - a _ { c } \cos ( \omega t + \phi _ { 0 } )
= - \omega ^ 2 A \cos ( \omega t + \phi _ { 0 } ) = - \omega ^ 2 x
अतः \quad a _ { t } = - ( \omega ^2 ) x
उपरोक्त समीकरण से यह स्पस्ट होता है कि P' के गति कि निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –
- यह सीधी रेखा XX' पर आने-जाने ( to & fro ) वाला गति करता है।
- कण का त्वरण ( a _ { t } ), कण के विस्थापन ( x ) का समानुपाती है।
- कण का त्वरण ( a _ { t } ), कण के विस्थापन ( x ) की दिशा के विपरीत दिशा में लग रहा है।
ये विशेषताएँ एक सरल आवर्तीय गति की विशेषताओं के समान हैं। इसलिए, XX' रेखा पर P' बिंदु की गति एक सरल आवर्तीय गति है।
इस विषय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न देखें –