What is Linear Momentum?
रेखीय संवेग क्या होता है?
न्यूटन का गति के दूसरे और तीसरे नियम, भौतिकी ( physics ) के एक महत्वपूर्ण और मौलिक सिद्धांत की व्याख्या करते हैं, जिसे हम रेखीय संवेग संरक्षण का सिद्धांत ( law of conservation of linear momentum ) कहते हैं।
एक गतिमान वस्तु के रैखिक संवेग ( linear momentum ) को गति जड़ता ( inertia of motion ) के कारण उत्पन्न कारक के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसका मान, वस्तु के द्रब्यमान ( mass ) और उसके वेग ( velocity ) के गुणनफल के बराबर होता है।
\text {रेखीय संवेग ( linear momentum )} = \text {द्रव्यमान ( mass )} \ \times \ \text {वेग ( velocity )}
अर्थात, \quad \vec p = m \vec v
संवेग एक सदिश राशि ( vector quantity ) होती है। इसकी दिशा वस्तु के वेग की दिशा के समान होती है।
SI प्रणाली में इसकी इकाई ( \text {kg m s}^{-1} ) है।
Concept of momentum
संवेग की अवधारणा
संवेग की अवधारणा को समझने के लिए निम्नलिखित घटनाओं पर विचार करें –
घटना क्रम (1) – द्रव्यमान ( mass ) ( m kg ) के एक हल्के पत्थर का एक छोटा टुकड़ा, कम ऊंचाई ( h ) से, मेज के ऊपर रखी कांच की एक प्लेट पर गिराया जाता है। यह कांच की प्लेट को नहीं तोड़ती है।
घटना क्रम (2) – अब ( 10 m kg ) द्रव्यमान के एक भारी पत्थर को उसी ऊंचाई ( h ) से गिराया जाता है तो उसी कांच की प्लेट के टूटने की संभावना बढ़ जाती है।
घटना क्रम (3) – फिर ( m kg ) द्रव्यमान के हल्के पत्थर के छोटे टुकड़े को अब ( 10 h ) के अधिक ऊंचाई से उसी कांच की प्लेट पर गिराया जाता है तो वही कांच की प्लेट के टूटने की संभावना बढ़ जाती है।
व्याख्या –
घटना क्रम (1) में – वस्तु का द्रव्यमान ( m ), कम होता है और उसे एक कम ऊंचाई ( h ) से गिराया जाता है। इसलिए इसमें गति जड़ता की मात्रा ( m h ) होती है जो कम है और यह कांच की प्लेट को नहीं तोड़ता।
घटना क्रम (2) में – वस्तु का द्रव्यमान ( 10 m ), है और उसे एक कम ऊंचाई ( h ) से गिराया जाता है। इसलिए इसमें गति जड़ता की मात्रा ( 10 m h ) होती है जो अधिक है और यह कांच की प्लेट को तोड़ देता है।
घटना क्रम (3) में – वस्तु का द्रव्यमान ( m ), है और उसे एक अधिक ऊंचाई ( 10 h ) से गिराया जाता है। इसलिए इसमें गति जड़ता की मात्रा ( 10 m h ) होती है जो अधिक है और यह कांच की प्लेट को तोड़ देता है।
घटना क्रम (1) और (2) में – वस्तु का द्रव्यमान भिन्न है परन्तु पत्थर को समान ऊंचाई ( h ) से गिराया जाता है। इसलिए यह कांच की प्लेट से टकराते समय समान वेग ( velocity ) प्राप्त कर लेता है।
घटना क्रम (2) और (3) में – वस्तु का द्रव्यमान समान है परन्तु पत्थर को अलग-अलग ऊंचाई से गिराया जाता है। इसलिए, कांच की प्लेट से टकराते समय घटना क्रम (3) में वस्तु अधिक वेग प्राप्त करता है।
उपरोक्त चर्चा से हमें संवेग की अवधारणा समझ में आती है। हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि, गति का कुल प्रभाव, द्रव्यमान और वेग दोनों पर निर्भर करता है। गति के इस सम्मिलित प्रभाव को, गतिमान वस्तु का संवेग ( momentum ) कहते हैं।
Impulsive Force
आवेगी बल
संवेग ( momentum ) में अधिक परिवर्तन उत्पन्न करने के लिए एक बहुत बड़े बल को बहुत कम समय के लिए वस्तु पर लगाया जाता है। इसे आवेगी बल ( impulsive force ) कहा जाता है।
उदाहरण –
- बल्लेबाज द्वारा गेंद को मारते समय क्रिकेट के बल्ले द्वारा लगाया गया बल।
- बढ़ई द्वारा कील पर हथौड़े से किया गया प्रहार।
- जब एक व्यक्ति, एक निश्चित ऊंचाई से फर्श पर गिरता है तो उसके द्वारा अनुभव किया गया बल।
आवेगी बल वास्तव में बहुत कम समय के लिए कार्य करता है। बल के परिमाण और समय की अवधि को अलग-अलग मापना कठिन होता है। लेकिन बल और समय की अवधि का गुणनफल की मात्रा को मापना आसान होता है। इस उत्पाद को आवेग ( impulse ) कहा जाता है।
Impulse
आवेग
आवेग ( impulse ) एक बड़े बल का कुल प्रभाव होता है जो बहुत कम समय के लिए वस्तु पर लगता है और संवेग ( momentum ) में एक बड़ा परिवर्तन उत्पन्न करने के लिए कार्य करता है।
\text {आवेग ( Impulse )} = \text {बल ( Force )} \ \times \ \text {समय ( Time )} = \text {संवेग में कुल परिवर्तन ( Total change in momentum )}
यदि ( \vec {F_{av}} ) औसत बल है, तब –
आवेग \quad \vec {J} = \vec {F_{av}} \times \Delta t
- आवेग एक सदिश राशि होता है।
- यह ( J ) द्वारा दर्शाया जाता है।
- इसकी दिशा, बल की दिशा या संवेग में परिवर्तन की दिशा के समान होती है।
Impulse Momentum Theorem
आवेग गति प्रमेय
न्यूटन के गति के दूसरे नियम के अनुसार हम पाते हैं कि –
\text {बल ( Applied Force )} = \text {संवेग में परिवर्तन की दर ( Rate of change in momentum )}
अतः \quad \vec {F} = \left ( \frac {\vec {dp}}{dt} \right )
या, \quad \vec {F} dt = \vec {dp} ……… (1)
माना कि, ( t = 0 ) से ( t = t ) समय में किसी वस्तु का संवेग ( \vec {p_1} ) से बदलकर ( \vec {p_2} ) होता है।
तब, समीकरण (1) को सिमा के तहत इंटीग्रेट ( integrate ) करने पर हम पाते है कि –
\int\limits_{0}^{t} \vec {F} dt = \int\limits_{\vec {p_1}}^{\vec {p_2}} \vec {dp}
= \left [ \vec {p} \right ]_{\vec {p_1}}^{\vec {p_2}}
= \vec {p_1} - \vec {p_2}
परन्तु, \quad \int\limits_{0}^{t} \vec {F} dt = \vec {J} ( आवेग )
अतः \quad \vec {J} = \vec {p_1} - \vec {p_2}
इस प्रकार, बल का आवेग, बल द्वारा उत्पन्न संवेग में कुल परिवर्तन के बराबर होता है।
आवेग ( \vec {J} ) और संवेग ( \vec {p} ) के बीच के इस संबंध को आवेग-गति प्रमेय ( impulse-momentum theorem ) के रूप में जाना जाता है।
Conservation of momentum
संवेग का संरक्षण
रेखीय संवेग के संरक्षण का नियम ( law of conservation of momentum ), न्यूटन के गति के नियमों ( Newton’s laws of motion ) से प्राप्त किया गया है। इसे इस प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है –
जब परस्पर क्रिया करने वाले कणों की प्रणाली पर कोई बाहरी बल कार्य नहीं करता है, तो उस प्रणाली की कुल रेखीय संवेग संरक्षित होती है और कुल रेखीय संवेग वस्तु के सभी कणों के रेखीय संवेग का सदिश योग होता है।
दो वस्तुओं A \ \text {और} \ B पर विचार करें जिनका द्रव्यमान क्रमशः ( m_1 ) \ \text {और} \ ( m_2 ) है और वे एक ही दिशा में एक सीधी रेखा में क्रमशः ( u_1 ) \ \text {और} \ ( u_2 ) के वेग के साथ गतिमान हैं जिसमें ( u_1 > u_2 ) है। अतः दोनों वस्तुएँ कुछ समय पश्चात् बहुत कम समय ( \delta t ) के लिए टकराते ( collision ) हैं। टकराने के बाद मान लेते हैं कि उनका वेग क्रमशः ( v_1 ) \ \text {और} \ ( v_2 ) होता है।
टक्कर के दौरान वस्तु ( A ), वस्तु ( B ) के ऊपर एक बल ( \vec {F_{BA}} ) लगाता है।
न्यूटन के गति के तीसरे नियम ( Newton’s third law of motion ) से वस्तु ( B ) भी वस्तु ( A ) पर एक बल ( \vec {F_{AB}} ) लगाएगा।
अब, बल ( \vec {F_{AB}} ) का आवेग ( Impulse ) \quad \vec {F_{AB}} = \vec {F_{AB}} \Delta t
हम जानते हैं कि, आवेग = संवेग में परिवर्तन।
लेकिन, वस्तु ( A ) के संवेग में परिवर्तन है –
\left ( m_1 \vec {v_1} - m_1 \vec {u_1} \right )
अतः \quad \vec {F_{AB}} \Delta t = \left ( m_1 \vec {v_1} - m_1 \vec {u_1} \right )
इसी प्रकार से, वस्तु ( B ) के संवेग में परिवर्तन है –
\left ( m_2 \vec {v_2} - m_2 \vec {u_2} \right )
अतः \quad \vec {F_{BA}} \Delta t = \left ( m_2 \vec {v_2} - m_2 \vec {u_2} \right )
न्यूटन के गति के तीसरे नियम ( Newton’s third law of motion ) के अनुसार –
\vec {F_{AB}} = - \vec {F_{BA}}
अतः \quad \left ( m_1 \vec {v_1} - m_1 \vec {u_1} \right ) = - \left ( m_2 \vec {v_2} - m_2 \vec {u_2} \right )
या, \quad \left ( m_1 \vec {v_1} + m_2 \vec {v_2} \right ) = \left ( m_1 \vec {u_1} + m_2 \vec {u_2} \right )
अर्थात, टकराने के बाद का कुल संवेग (Total momentum after collision ) = टकराने से पहले का कुल संवेग ( Total momentum before collision )
अत: टक्कर में वस्तुओं का कुल संवेग संरक्षित रहता है।
इस विषय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न देखें –