What is called Metacentric Height?
अप्लाव केंद्रीय ऊंचाई किसे कहते हैं?
किसी प्लावित वस्तु के अप्लाव केंद्र ( metacentre ) बिंदु ( M ) और गुरुत्व केंद्र ( centre of gravity ) ( G ) के बीच की दूरी को अप्लाव केंद्रीय ऊंचाई ( metacentric height ) कहा जाता है।
प्लावित वस्तु का अप्लाव केंद्रीय ऊंचाई ( metacentric height ) ज्ञात करना बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि –
- अप्लाव केंद्रीय ऊंचाई ( metacentric height ) तैरने वाली वस्तुएँ जैसे पानी जहाज, बॉय ( buoy ) आदि की स्थिरता का पता लगाती है।
- तैरने वाले जहाजों के डिजाइन के दौरान इसका ज्ञात होना आवश्यक होता है।
Metacentre
आप्लव केंद्र
चित्र में दिखाए गए वस्तु पर विचार करें जो एक तरल में तैर रहा है। मान लें कि वस्तु का गुरुत्व केंद्र ( centre of gravity ) बिंदु ( G ) पर अवस्थित है और बिंदु ( B ) उसका उत्प्लावकता केंद्र ( centre of buoyancy ) है।
वस्तु के संतुलन ( equilibrium ) के शर्तानुसार, बिंदु ( B ) और ( G ) को एक ही ऊर्ध्वाधर रेखा ( vertical line ) पर अवस्थित होना आवश्यक है। इस रेखा को सामान्य अक्ष ( normal axis ) कहा जाता है।
दिखाए गए चित्र ( B ) पर विचार करें। मान लें कि, वस्तु को एक छोटे से कोण में झुकाया जाता है। इस झुकाव के कारण वस्तु द्वारा विस्थापित द्रव का आकार बदल जाता है, अतः वस्तु का उत्प्लावकता केंद्र ( centre of buoyancy ) ( B ) , एक नई स्थिति ( B_1 ) पर अवस्थित हो जाता है।
उत्थापक ( upthrust ) या उत्प्लावक बल ( buoyant force ) की क्रिया रेखा अब बिंदु ( B_1 ) से होकर ऊर्ध्वाधर गुजरती है। बिंदु ( B_1 ) से गुजरने वाली यह ऊर्ध्वाधर रेखा, वस्तु के सामान्य अक्ष ( normal axis ) को ( M ) बिंदु पर काटती है। इस बिंदु को ही आप्लव केंद्र ( metacentre ) कहा जाता है। अप्लाव केंद्र ( metacentre ) एक ऐसा बिंदु है जिसका स्थान किसी भी तैरते हुए वस्तु की स्थिरता ( stability ) को निर्धारित करता है।
अतः जब किसी वस्तु को अपने संतुलित स्थान से हटाकर एक छोटे से कोण पर विचलित किया जाता है तब उत्थापक ( upthrust ) की ऊर्ध्वाधर क्रिया रेखा, वस्तु के सामान्य अक्ष को जिस बिंदु पर काटती है उसे आप्लव केंद्र ( metacentre ) कहा जाता है।
आप्लव केंद्र ( M ) और गुरुत्व केंद्र ( G ) बिंदुओं के बीच की ऊंचाई को मेटासेंटर ऊंचाई ( metacentric height ) कहा जाता है।
Equilibrium of Floating bodies
प्लावित वस्तुओं का संतुलन
प्लावित वस्तु के संतुलन के लिए दो शर्तें हैं –
- विस्थापित किये गए तरल का भार वस्तु के भार के बराबर होता है।
- वस्तु का गुरुत्व केंद्र ( centre of gravity ) और उत्प्लावक केंद्र ( centre of buoyancy ) दोनों एक ही ऊर्ध्वाधर रेखा पर स्थित होते हैं।
Stability of floating bodies
प्लावित वस्तुओं की स्थिरता
प्लावित वस्तुओं की स्थिरता निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है –
- वस्तु का भार।
- वस्तु द्वारा विस्थापित तरल का भार।
- आप्लव केंद्र और आप्लव केंद्रीय ऊंचाई की स्थिति।
चित्र में दिखाए गए एक प्लावित वस्तु पर विचार करें –
माना कि, संतुलन ( equilibrium ) की स्थिति से वस्तु को थोड़ा झुकाया जाता है। इस स्थिति में वस्तु का गुरुत्व केंद्र और उत्प्लावक केंद्र एक ही ऊर्ध्वाधर रेखा ( vertical line ) पर स्थित नहीं होंगे। अतः वस्तु का भार ( weight ) ( W ) और उत्प्लावक बल ( buoyant force ) या उत्थापक ( upthrust ) ( U ) , आपस में मिलकर एक युग्म ( couple ) का निर्माण करते हैं जो वस्तु को घुमाकर पुनः पुरानी स्थिति में लाने की कोशिश करता है।
निम्न तीन स्थितियां संभव हैं –
Stable equilibrium
स्थिर संतुलन
स्थिर संतुलन की स्थिति को चित्र ( B ) में दिखाया गया है। ऐसी वस्तु में, मेटासेंटर ऊंचाई ( metacentre point ) ( M ) , वस्तु के गुरुत्व केंद्र ( G ) के ऊपर स्थित होता है।
वस्तु को थोड़ा सा झुकाव देने पर वस्तु का भार ( W ) और उत्थापन ( U ) मिलकर एक पुनस्थापक बलयुग्म Righting couple उत्पन्न करते हैं। यह पुनस्थापक बलयुग्म, वस्तु को अपनी संतुलन की स्थिति में पुनः वापस लाता है।
ऐसे वस्तु को स्थिर संतुलन ( stable equilibrium ) में कहा जाता है।
Unstable equilibrium
अस्थिर संतुलन
अस्थिर संतुलन को चित्र ( C ) में दिखाया गया है। ऐसी वस्तु में, आप्लव केंद्र ( M ) वस्तु के गुरुत्व केंद्र ( G ) के नींचे स्थित होता है।
वस्तु को थोड़ा सा झुकाव देने पर वस्तु का भार ( W ) और उत्थापन ( U ) मिलकर एक विरोधी बलयुग्म ( disturbing couple ) उत्पन्न करते हैं। यह विरोधी बलयुग्म, वस्तु को और अधिक झुका देता है और वस्तु अपनी संतुलन कि स्थिति में नहीं लौट पाती है।
ऐसे वस्तु को अस्थिर संतुलन ( Unstable equilibrium ) में कहा जाता है।
Neutral equilibrium
उदासीन संतुलन
ऐसी वस्तु में, आप्लव केंद्र ( M ) और वस्तु का गुरुत्व केंद्र ( G ) दोनों एक ही बिंदु पर स्थित होते हैं। अतः ( M ) और ( G ) एक ही बिंदु पर स्थित होने के कारन, तैरने की हर स्थिति में वस्तु संतुलन में ही रहती है।
ऐसा गोलाकार वस्तुओं के साथ होता है। प्लावित वस्तु को थोड़ा सा झुकाव देने पर वस्तु नए स्थिति में भी संतुलित होकर तैरने लगती है। अर्थात हर स्थिति में वस्तु संतुलन में ही रहती है। इस नए स्थिति में भी आप्लव केंद्र ( M ) और गुरुत्व केंद्र ( G ) एक ही बिंदु पर स्थित होते हैं।
ऐसे वस्तु को उदासीन संतुलन ( Neutral equilibrium ) में कहा जाता है।
Finding of Metacentric Height
आप्लव केंद्रीय ऊंचाई का ज्ञापन
किसी प्लावित वस्तु के आप्लव केंद्रीय ऊंचाई का ज्ञापन दो विधियों से किया जा सकता है –
- विश्लेषणात्मक विधि के द्वारा।
- प्रयोगिक विधि के द्वारा।
इनकी व्याख्या इस प्रकार से है –
Metacentric height by analytics
विश्लेषण द्वारा आप्लव केंद्रीय ऊंचाई का ज्ञापन
उत्प्लावकता केंद्र ( centre of buoyancy ) ( B ) कि तुलना में आप्लव केंद्र ( M ) की स्थिति को निम्नलिखित विश्लेषणात्मक ( analytical ) विधि के द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।
चित्र ( A ) में दिखाए गए एक आयताकार वस्तु पर विचार करें।
चित्र ( B ) के अनुसार, मान लें कि वस्तु को एक छोटे से कोण ( \theta ) में दक्षिणावर्त दिशा ( clockwise direction ) में झुकाया जाता है। डूबा हुआ अंश ( pqrs ) अब एक नए अंश ( p_1q_1rs ) में परिवर्तित हो जाता है। इसके परिणामस्वरुप, उत्प्लावकता केंद्र ( B ) से स्थानांतरित होकर (B_1) पर स्थित हो जाता है।
यह स्पष्ट है कि, वस्तु के झुकाव के प्रभाव से तरल के एक त्रिकोणीय अंश ( wedge ) ( pop_1 ) कि स्थिति अब ( qoq_1 ) हो जाती है। तरल के इस त्रिकोणीय अंश के विचलन के परिणामस्वरूप, उत्प्लावकता केंद्र ( B ) से हटकर ( B_1 ) में स्थानांतरित हो जाता है।
चूंकि, तैरते हुए वस्तु द्वारा विस्थापित तरल का आयतन अपरिवर्तित रहता है, अतः –
\text {क्षेत्र} \ ( pop_1 ) = \text {क्षेत्र} \ ( qoq_1 )
और माना कि वस्तु की लंबाई ( l ) है। लंबाई के लंबवत, ( dl ) लम्बाई के एक पतले अनुप्रस्थ टुकड़े ( transverse slice ) पर विचार करें जैसा कि चित्र ( C ) में दिखाया गया है।
माना कि –
- ( b ) प्लावित वस्तु की चौड़ाई है।
- ( V ) निमग्न वस्तु द्वारा विस्थापित तरल का आयतन है जिसे आर्द्र आयतन ( wetted volume ) भी कहते हैं।
- ( dV ) अनुप्रस्थ फांकी ( dl ) द्वारा विस्थापित तरल का आयतन है।
- ( I ) तरल के मुक्त सतह के सामानांतर वस्तु के सतह का लंबवत अक्ष ( longitudinal axis ) पर लिए गया जड़त्व आघूर्ण ( moment of inertia ) है।
- ( dI ) लंबवत अक्ष ( longitudinal axis ) पर अनुप्रस्थ टुकड़े ( transverse slice ) का जड़त्व आघूर्ण ( moment of inertia ) है।
- ( g ) त्रिकोणीय अंश ( pop_1 ) का गुरुत्व केंद्र ( centre of gravity ) है।
- ( g_1 ) त्रिकोणीय अंश ( qoq_1 ) का गुरुत्व केंद्र ( centre of ग्रेविटी ) है।
- ( w ) तरल का विशिष्ट भार ( specific weight ) है।
चित्र की ज्यामिति से पता चलता है कि –
( g g_1 ) = \left ( \frac {2}{3} \right ) b
आर्कमिडीज के सिद्धांत ( Archemede’s principle ) से पता चलता है कि –
\text {वस्तु का भार} = \text {वस्तु के निमग्न भाग द्वारा विस्थापित तरल का भार} = w V
फिर –
- ( dl ) लंबाई वाले फांकी के टुकड़े का भार ( w dV ) है।
- त्रिकोणीय अंश का आयतन \quad \left ( \frac {1}{2} \right ) \times \frac {b}{2} \times \theta dl \left ( \frac {b}{2} \right ) = \left ( \frac {b^2}{8} \right ) \theta dl \quad है।
इसलिए, त्रिकोणीय अंश का भार \quad \left ( \frac {w b^2 \theta dl}{8} \right ) \quad होगा।
माना कि, आप्लव केंद्र बिंदु ( M ) पर स्थित है। तब –
त्रिकोणीय अंश के गुरुत्व केंद्र को ( g ) से हटकर ( g_1 ) तक स्थानांतरित होने के कारण ( M ) बिंदु पर का आघूर्ण ( moment ) = उत्प्लावकता केंद्र को ( B ) से हटकर ( B_1 ) तक स्थानांतरित होने के कारण ( M ) बिंदु पर का आघूर्ण ( moment )
इसलिए, \quad \left ( \frac {w b^2 \theta dl}{8} \right ) \left ( \frac {2 b}{3} \right ) = ( w dV ) ( BB_1 )
या, \quad w \left ( \frac {dl b^3}{12} \right ) \theta = w dV . BB_1
चूंकि, ( \theta ) बहुत ही सूक्ष्म है, अतः \quad BB_1 = BM \theta
इसलिए, \quad w \left ( \frac {dl b^3}{12} \right ) \theta = w dV . BM . \theta
लेकिन, \left ( \frac {dl b^3}{12} \right ) = dI
इसलिए, \quad w \left ( dI \right ) \theta = w dV . BM . \theta
या, \quad dI = BM . dV
उपरोक्त संबंध, प्लावित वस्तु के प्रत्येक फांको के लिए उपयुक्त होता है। इसलिए, वस्तु की पूरी लंबाई पर एकीकरण ( integration ) करने पर प्राप्त होता है कि –
I = BM V
या, \quad BM = \left ( \frac {I}{V} \right )
अतः, आप्लव केंद्रीय ऊंचाई \quad MG = ( BM - BG )
इस प्रकार से, एक प्लावित वस्तु के आप्लव केंद्रीय ऊंचाई को विश्लेषणात्मक रूप से निर्धारित किया जा सकता है।
Metacentric height by experiment
प्रयोग द्वारा आप्लव केंद्र की ऊंचाई का ज्ञापन
दिखाए गए प्लावित जहाज के चित्र पर गौर करें।
- एक छोटा वजन ( w ) को जहाज के एक किनारे, स्थान ( A ) पर रखा जाता है।
- एक भारी वजन ( W ) को एक लंबी डोरी में बांधकर एक सरल दोलक ( simple pendulum ) बनाया जाता है। इस दोलक को जहाज पर एक उपयुक्त स्थान पर लटका दिया जाता है।
- प्रारंभिक अवस्था में बॉब कि स्थिति को चिन्हित कर दिया जाता है। मान लें कि सरल दोलक की लंबाई ( l ) है।
अब, जहाज पर रखे वजन ( w ) को ( A ) स्थान से हटाकर ( B ) स्थान पर रखा जाता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
माना कि, वजन ( w ) का यह विस्थापन ( displacement ) ( x ) है। चूँकि दोलक की डोरी साहुल ( plumb ) रहेगी, अतः कोण ( \theta ) को दोलक के विक्षेपण ( deflection ) द्वारा स्पष्ट रूप से मापा जा सकता है।
माना कि, दोलक का क्षैतिज विस्थापन ( GG' = y ) है।
तब, \quad \tan \theta = \left ( \frac {y}{l} \right )
दोलक के वजन के कारण उत्पन्न बल आघूर्ण ( moment ) और वजन ( w ) को ( A ) से ( B ) तक विस्थापित करने के कारण उत्पन्न बल आघूर्ण बराबर होंगे।
दोलक के वजन के कारण उत्पन्न बल आघूर्ण \quad ( W \times GG' ) = ( W y ) = ( W GM \tan \theta ) \quad है।
( A ) से ( B ) तक वजन ( w ) को स्थानांतरित करने के कारण उत्पन्न बल आघूर्ण \quad ( w x ) \quad है।
अतः, दोलक के संतुलन के लिए –
W GM \tan \theta = w x
इस प्रकार से, आप्लव केंद्रीय ऊंचाई \quad GM = \left ( \frac {w x}{W \tan \theta} \right ) \quad होगी।
इस समीकरण में ( w ), \ ( W ), \ ( x ) \ \& \ ( \theta ) के मान को ज्ञात करके आप्लव केंद्रीय ऊंचाई के मान की गणना की जा सकती है।
इस विषय पर आधारित संख्यात्मक प्रश्न देखें।